शिशुओं और छोटे बच्चों को पैरेंट्स हमेशा अपने साथ ही सुलाते हैं। वहीं, कुछ बच्चे 8-10 साल की उम्र तक भी अपने मां- बाप के साथ ही सोते हैं। लेकिन एक समय के बाद बच्चों को सोने के लिए अलग रूम दे देना चाहिए। वरना ये नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे बच्चे की मानिसक ग्रोथ पर असर पड़ता है। आइए जानते हैं किस उम्र तक बच्चे को मां- बाप के साथ सोना चाहिए।
बच्चे को साथ सुलाने के फायदे और नुकसान
छोटे बच्चों का अपने मां- बाप के साथ उनकी सुरक्षा और मेंटल हेल्थ के लिहाज से अच्छा होता है, क्योंकि छोटे बच्चे रात में कई बार जागते हैं। ऐसे में उनके मन से डर निकालने के लिए उन्हें साथ सुलाना जरूरी है। वहीं, शिशुओं को मां- बाप के साथ सुलाना उनकी ग्रोथ के लिए जरूरी है। लेकिन कुछ समय बाद बच्चे को अलग बिस्तर पर सुलाने की आदत डाल देनी चाहिए। एक स्टडी की मानें तो सिर्फ 3-4 साल की उम्र तक ही बच्चों को मां- बाप के साथ सोना चाहिए। ऐसे उनकी मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है और confidence बढ़ता है। इससे बच्चे के मन से डर भी कम होता है और उनकी मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं।
इस उम्र से बच्चों को सुलाएं अलग बिस्तर में
एक्सपर्ट्स की मानें तो 4-5 साल की उम्र के बाद पेरेंट्स को बच्चों को अलग जगह सुलाना शुरू कर देना चाहिए। इसी तरह टीनएज के आसपास जब बच्चा प्यूबर्टी की ओर बढ़ता है तब उन्हें अलग सुलाना उसके लिए ठीक होता है। इससे बच्चे को स्पेस मिलती है और इससे उसे अपने शरीर में हो रहे बदलाव को समझने में भी आसानी होती है।
बच्चें को अलग न सुलाने से हो सकती हैं ये समस्याएं
- बच्चे की ग्रोथ होती है धीमी
- बच्चे की मेमरी होती है कमजोर
-डिप्रेशन के बढ़ सकते हैं chances
-मोटापा, थकान और सुस्ती जैसी समस्याएं हैं बढ़ती