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अलविदा स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु, अपने पिता को अंतिम विदाई देने पहुंचा एक महीने का बेटा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 11 Jul, 2025 03:18 PM
अलविदा स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु, अपने पिता को अंतिम विदाई देने पहुंचा एक महीने का बेटा

नारी डेस्क: राजस्थान के चूरू के पास बुधवार को जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटना में शहीद हुए दो भारतीय वायु सेना (IAF) पायलटों में से एक, स्क्वाड्रन लीडर लोकेंद्र सिंह सिंधु एक महीने पहले ही पिता बने थे। जब शहीद पायलट का पार्थिव शरीर घर पहुंच तो चीख- पुकार मच गई, जहां उनकी पत्नी आखिरी बार पति का चेहरा देखने को कह रही थी तो वहीं दूसरी ओर एक महीने का मासूम अपने पिता को अंतिम विदाई देने पहुंचा। इस तस्वीर को जिसने भी देखा वह रो पड़ा। 

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गुरुवार शाम को रोहतक में पूरे सैन्य सम्मान के साथ लोकेंद्र सिंह सिंधु का अंतिम संस्कार किया गया। हजारों लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद अमर रहें’ के नारों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पायलट की पत्नी का रो- रो कर बुरा हाल था, वहीं इस सब से अंजान एक महीने का मासूम अपने दादा की गाेदी में अपने पिता को अंतिम विदाई देने पहुंचा। उसके नन्हे से हाथ ने जैसे ही जय हिंद किया वैसे ही वहां मौजूद लोग भावुक हो उठे। 

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हरियाणा के रोहतक के खेरी साध गांव के रहने वाले सिंधु ने मंगलवार शाम को वीडियो कॉल के ज़रिए अपने परिवार से बात की और घटना से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने अपने परिवार के साथ संदेशों का आदान-प्रदान किया और उनका हालचाल पूछा। सिंधु के परिवार के कुछ सदस्यों ने बताया कि परिवार पायलट के बेटे के जन्म का जश्न मना रहा था, जिसका जन्म ठीक एक महीने पहले 10 जून को हुआ था, लेकिन किसी को नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है।

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सिंधु के परिवार ने 30 जून को उनके बच्चे के जन्म के उपलक्ष्य में एक समारोह आयोजित किया था, जिसमें वह शामिल हुए थे।  वह अगले दिन ड्यूटी पर वापस आ गए थे। उनके दादा बलवान सिंह ने बताया कि सिंधु अपने पीछे पत्नी, एक महीने के बेटे, एक भाई, एक बहन, माता-पिता और दादा-दादी को छोड़ गए हैं।  सिंधु के भाई ज्ञानेंद्र ने कहा कि उन्हें अपने भाई पर गर्व है जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि दुर्भाग्यपूर्ण विमान ज़मीन पर मौजूद किसी भी नागरिक आबादी से दूर ले जाया जाए। उन्होंने मानवीय क्षति से बचने के लिए विमान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा करते समय विमान की ऊँचाई कम हो गई और वह उससे बाहर नहीं निकल सके।
 

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