हालिया सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 73 फीसदी महिलाएं चाहती हैं कि कंपनियां उन्हें मासिक धर्म की छुट्टी लेने की अनुमति दें, जबकि 86.6 फीसदी कार्यस्थल को मासिक धर्म के अनुकूल बनाने के पक्ष में हैं, जहां उनके लिए स्वच्छता और सहायक बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो। दुनिया में कई देश और भारत की कई कंपनियां अपनी इंप्लॉइज को पीरियड्स लीव देते हैं, लेकिन सभी जगह नहीं मिलती।
महिलाओं की स्वच्छता से जुड़े ब्रांड ‘एवरटीन' द्वारा किए गए मासिक धर्म स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में यह भी पता चला है कि 71.7 प्रतिशत प्रतिभागी नहीं चाहतीं कि मासिक धर्म की छुट्टी का भुगतान किया जाए। उन्हें डर है कि इससे कंपनियां महिला कर्मचारियों को नौकरी देने में आनाकानी कर सकती हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ और पटना समेत कई शहरों में किए गए सर्वेक्षण में 18 से 35 वर्ष की आयु की लगभग 10,000 महिलाओं ने भाग लिया। 28 मई को वैश्विक मासिक धर्म स्वच्छता दिवस से पहले यह सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई है।
सर्वे में कहा गया है, “73 प्रतिशत महिलाएं चाहती हैं कि कंपनियां उन्हें मासिक धर्म की छुट्टी लेने की अनुमति दें, जबकि इनमें से 71.7 प्रतिशत महिलाएं नहीं चाहतीं कि इनका भुगतान किया जाए।” सर्वे के अनुसार इसके अलावा, 86.6 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के अनुकूल कार्यस्थल की अवधारणा के पक्ष में हैं जहां महिलाएं इस विषय पर खुलकर चर्चा करने में संकोच न करें, और महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता व सहायक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा, 68.9 प्रतिशत महिलाओं ने मासिक धर्म के दौरान काम से छुट्टी दिए जाने का समर्थन किया।”
‘पैन हेल्थकेयर' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चिराग पान ने कहा- “कॉरपोरेट क्षेत्र को मासिक धर्म के अनुकूल कार्यस्थल के तरीके अपनाने को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, “हमारे सर्वेक्षण से पता चलता है कि केवल 5.2 प्रतिशत महिलाएं अपने प्रबंधक के साथ मासिक धर्म के बारे में चर्चा करने में सहज महसूस करती हैं, जबकि 39.9 प्रतिशत महिलाएं कार्यस्थल पर अपनी महिला सहयोगियों के साथ भी मासिक धर्म के बारे में चर्चा करना पसंद नहीं करतीं।” ‘वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर' के सीईओ हरिओम त्यागी ने कह- '2022 के सर्वे की तरह इस साल के सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं अपने मासिक धर्म के पहले दो दिन में ठीक से सो नहीं पाती हैं और 63.6 प्रतिशत महिलाओं ने मासिक धर्म से संबंधित भीषण दर्द सहन किया।