हमारा समाज चाहे लड़कियों को आज बराबर का समझता हो लेकिन आज भी वह कईं तरह के रीति रिवाज में फंसे हैं। आज भी कुछ ऐसी परंपराएं हैं जिन्हें बेटियों को नहीं बल्कि बेटों को निभाने दिया जाता है। इन्हीं में से एक है पार्थिव शरीर को कंधा देना और मुखाग्नि देना। आप ने यह भी कितनी बार देखा होगा कि कईं जगह बेटियों को अंतिम संस्कार के समय साथ भी नहीं लेजाया जाता है। लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने यह दिखा दिया कि लोगों की सोच बदल रही है।
पिता की अर्थी को दिया कंधा
हम जिस मामले की बात कर रहे हैं वह महाराष्ट्र का हैं। जहां 12 बहनों ने अपने पिता की अर्थी को सहारा दिया और उन्हें मुखाग्नि दी। इस पर सोच विचार करना इसलिए जरूरी है क्योंकि आज मॉर्डन समय में भी इन चीजों में बेटों को आगे रखा जाता है लेकिन इस मामले ने आज सब की आंखें खोल दी हैं।
12 बेटियों ने दिया कंधा
महाराष्ट्र के वाशीम जिले के शेंदुरजना गांव में हाल ही परंपरा और संस्कृति बदलते दिखे। जहां पिता को 12 बहनों ने कंधे दिया। खबरों के मुताबिक इस दुनिया को अलविदा कह गए सखाराम गणपतराव काले के कोई पुत्र नहीं है ऐसे में बेटियों ने ही बेटे का किरदार निभाया और पिता को जाते जाते भी कंधा दिया।
पिता की आखिरी इच्छा पूरी की
12 बेटियों की मानें तो उनके पिता की यह अंतिम इच्छा थी कि उनकी बेटियां ही उनका अंतिम संस्कार करें ऐसे में आज उन्होंने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी कर दी है।
सच में आज इस मामले ने सब की आंखें खोल दी हैं कि संतान चाहे बेटा हो या बेटी लेकिन वह एक समान होते हैं।