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जानिए, आखिर नवरात्र में ही क्यों खेला जाता है गरबा?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 14 Oct, 2020 11:03 AM
जानिए, आखिर नवरात्र में ही क्यों खेला जाता है गरबा?

शारदीय नवरात्रों में गरबा और डांडिया धूमधाम से खेला जाता है। वैसे तो यह गुजरात का पारंपरिक नृत्य है, लेकिन अब लगभग हर राज्य में इसका प्रचलन हो गया है। बहुत से लोग तो इस पर्व का इंतजार ही रंग-बिरंगे कपड़े और गरबा-डांडिया खेलने के लिए करते हैं, लेकिन क्या आप गरबा खेलने के पीछे का कारण जानते हैं? अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।

कब हुई गरबा खेलने की शुरुआत?

गरबा का इतिहास 70 दशक पुराना है। आजादी से पहले गरबा केवल शान-शौकत के प्रदर्शन और मनोरंजन के लिए खेला जाता था। आजादी के बाद गुजराती समुदाय ने अपने प्रदेश से बाहर निकलकर अन्य देशों तक गरबा खेलने की परंपरा को पहुंचाया। आज यह पूरी दुनिया में फेमस हो चुका है।

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क्यों कहा जाता है इसे गरबा?

गरबा का शाब्दिक अर्थ - गरबा दो शब्दों के मेल से बना है गर्भ और दीप। नवरात्र के पहले दिन मिट्टी के घड़े में दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है और साथ ही इसमें चांदी का एक सिक्का रखा जाता है। इस दीपक को 'दीप गर्भ' कहा जाता है और इसी से 'गरबा' नाम की उत्पत्ति हुई।

गरबा और नवरात्र का कनेक्शन

गरबा और नवरात्र का कनेक्शन बरसों पुराना है। गुजरात के लोगों का मानना है कि गरबा मां अम्बे को बहुत प्रिय है, इसलिए उनको प्रसन्न करने के लिए नवरात्र में गरबा खेलने का चलन शुरू हुआ।

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