नारी डेस्क: कैंसर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है जिसकी कई तरह की किस्में होती हैं। इन्हीं में से एक है ओवेरियन कैंसर जो खासतौर पर महिलाओं में होता है। इसे 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं या अक्सर दिखाई ही नहीं देते। इस कारण से इसे समय पर पहचानना मुश्किल हो जाता है।
8 मई: वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे
हर साल 8 मई को विश्व ओवेरियन कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है महिलाओं में होने वाले इस खतरनाक कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक करना। यह महिलाओं में सबसे कम पहचाना जाने वाला कैंसर है। इसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं क्योंकि महिलाएं उन्हें सामान्य हार्मोनल बदलाव या थकान समझ लेती हैं।
क्यों कहा जाता है इसे 'साइलेंट किलर'?
ओवेरियन कैंसर के लक्षण आमतौर पर बहुत हल्के होते हैं। जैसे गैस बनना, हल्का पेट दर्द, भूख में कमी या पीरियड्स का गड़बड़ाना। ये लक्षण इतनी आम समस्याएं लगती हैं कि ज्यादातर महिलाएं इन पर ध्यान नहीं देतीं। इसका सही इलाज तब शुरू होता है जब यह कैंसर गंभीर स्टेज में पहुंच जाता है।

देर से प्रेगनेंसी और ओवेरियन कैंसर के बीच संबंध
कई महिलाएं इस बात से अनजान होती हैं कि देर से गर्भधारण करने या कभी प्रेग्नेंट न होने से ओवेरियन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है।ल हर महीने ओवुलेशन (अंडोत्सर्जन) के समय अंडाशयों पर थोड़ा तनाव पड़ता है। अगर यह लंबे समय तक चलता रहे तो अंडाशयों की कोशिकाओं में बदलाव हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। गर्भावस्था और स्तनपान के समय ओवुलेशन रुक जाता है, जिससे अंडाशयों को आराम मिलता है और वे ज्यादा सुरक्षित रहते हैं। इसलिए जब महिलाएं बहुत देर से प्रेगनेंसी प्लान करती हैं या उन्हें फर्टिलिटी की समस्या होती है तो यह नेचुरल सुरक्षा कम हो जाती है।
ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षण
मेयो क्लिनिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, ओवेरियन कैंसर के लक्षण भले ही मामूली लगें, लेकिन वे असल में गंभीर संकेत हो सकते हैं। यह लक्षण हैं लगातार पेट भरा-भरा लगना (ब्लोटिंग), पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द या असहजता, बार-बार पेशाब आने की जरूरत, भूख में कमी या जल्दी पेट भर जाना, पीरियड्स का अनियमित होना, इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें, खासकर अगर ये लगातार महसूस हों।
ओवेरियन कैंसर की जांच कैसे होती है?
बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि पैप स्मीयर टेस्ट ओवेरियन कैंसर को भी पकड़ लेता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इस कैंसर की जांच के लिए मुख्यत अल्ट्रासाउंड, CA-125 ब्लड टेस्ट (रक्त में कैंसर मार्कर की जांच), इनकी मदद से कैंसर की पहचान की जाती है। अगर कोई संदेह होता है, तो डॉक्टर और गहरी जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।

ओवेरियन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है?
हालांकि यह कैंसर पूरी तरह रोका नहीं जा सकता लेकिन सावधानी और समय पर जांच से इसकी गंभीरता को रोका जा सकता है। क्या करें? हल्के लक्षणों को भी नजरअंदाज न करें जैसे बार-बार ब्लोटिंग, थकान या पीरियड्स की गड़बड़ी, हर 6 से 12 महीने में एक बार गायनोकॉलोजिस्ट से चेकअप कराएं, अगर आपके परिवार में कैंसर का इतिहास है, तो डॉक्टर से जेनेटिक टेस्टिंग या स्क्रीनिंग की सलाह लें।
महत्वपूर्ण बातें जो हर महिला को जाननी चाहिए
ओवेरियन कैंसर भले ही धीरे और चुपचाप बढ़े लेकिन यह अदृश्य नहीं होता। अगर आप देर से प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं या आपके हार्मोनल लेवल में बदलाव महसूस हो रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप अपने शरीर के संकेतों को समझें। समय पर डॉक्टर से सलाह लें, और इलाज या जांच में देरी न करें।
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी मेडिकल सलाह, निदान या इलाज का विकल्प नहीं है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें। नारी इस जानकारी की सटीकता और प्रभाव की जिम्मेदारी नहीं लेता।