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कश्मीर में हमले के लिए आतंकियों ने चुनी थी 3 जगहें, फिर क्यों बैसरन घाटी को बनाया निशाना? सामने आई पूरी साजिश

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 01 May, 2025 04:22 PM
कश्मीर में हमले के लिए आतंकियों ने चुनी थी 3 जगहें, फिर क्यों बैसरन घाटी को बनाया निशाना? सामने आई पूरी साजिश

नारी डेस्क: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम इलाके में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को गहरी पीड़ा और आक्रोश में डाल दिया। यह हमला सिर्फ आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं था, बल्कि इससे यह भी साबित हुआ कि दुश्मन बहुत सोच-समझकर और रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

हमला एक सोची-समझी साजिश थी

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, यह हमला अचानक नहीं हुआ था। इसे काफी समय से योजनाबद्ध तरीके से तैयार किया गया था। इस पूरी योजना को चार आतंकियों ने अंजाम दिया, जिनमें दो पाकिस्तानी आतंकवादी – मूसा और अली – शामिल थे। इन आतंकियों की मदद स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) ने की। हमले से एक हफ्ते पहले यानी 15 अप्रैल को ही ये आतंकी अपने लोकल संपर्कों की मदद से पहलगाम में दाखिल हो चुके थे। इसके बाद इन्होंने वहां कई स्थानों की रेकी (जांच-पड़ताल) की और यह तय किया कि हमला किस जगह और कब करना है।

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कौन-कौन सी जगहों की की गई रेकी

आतंकियों ने हमले से पहले कई भीड़भाड़ वाले और महत्वपूर्ण जगहों की रेकी की थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें उन जगहों को छोड़ना पड़ा।

आरु घाटी: आरु घाटी सबसे पहले आतंकियों के निशाने पर थी। यह एक खूबसूरत टूरिस्ट लोकेशन है, लेकिन यहां सेना के कैंप्स मौजूद थे। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी देखकर आतंकियों ने इसे छोड़ दिया।

एम्यूजमेंट पार्क: दूसरे नंबर पर आतंकियों ने आरु घाटी के पास मौजूद एक एम्यूजमेंट पार्क को देखा। यहां भी उन्हें मौका कम नजर आया क्योंकि भीड़ काफी कम थी। इसलिए यह जगह भी उनकी योजना से बाहर हो गई।

बेताब घाटी: तीसरी जगह बेताब घाटी थी, जो अमरनाथ यात्रा के रास्ते पर पड़ती है। यहां लोगों की भीड़ तो थी, लेकिन भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के कारण आतंकियों को यहां हमला करना मुश्किल लगा और उन्होंने इस जगह को भी रिजेक्ट कर दिया।

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आखिरकार क्यों चुनी गई बैसरन घाटी

बैसरन घाटी एक फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन है जो पहलगाम में स्थित है। लेकिन इसकी एक खास बात यह है कि यह अमरनाथ यात्रा के मुख्य ट्रैक से थोड़ी दूरी पर है, जिससे यहां सुरक्षा बलों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहती है। आतंकियों ने 19 अप्रैल को इस घाटी की रेकी की और फिर तय किया कि हमला यहीं किया जाएगा। इसके बाद 22 अप्रैल को दोपहर 2 बजे OGW को घाटी में भेजा गया और 2:28 बजे हमला शुरू कर दिया गया। इस हमले में कुल 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।

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सुरक्षाबलों की कार्रवाई और अब तक के सुराग

हमले के बाद सुरक्षाबलों ने तुरंत तलाशी अभियान शुरू किया। दो प्रमुख इलाकों – कोकरनाग और डो़रू के जंगलों – में आतंकियों की मौजूदगी की खबर मिलने पर मुठभेड़ हुई। जंगलों में आतंकियों को छिपा देखकर सुरक्षा बलों ने कुछ हिस्सों में आग भी लगाई, ताकि आतंकी बाहर निकल सकें। हालांकि अब तक केवल दो आतंकियों को ही देखा गया है, और बाकी के आतंकियों की तलाश जारी है।

यह हमला बताता है कि आतंकी अब भी कश्मीर में सक्रिय हैं और वे आम नागरिकों को निशाना बनाकर देश में डर और अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। सुरक्षा बलों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि समय रहते इन साजिशों को पकड़ा जाए और उन्हें नाकाम किया जाए।

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