शादी में वर और वधु पक्ष की तरफ से कई प्रकार की रस्में निभाई जाती है। इनमें से एक रस्म चावल फेंकने की है, जाे दुल्हन अपनी विदाई के समय निभाती है। बेटी के चावल फेंकने के दाैरान उसके पीछे माता-पिता या कोई बड़ा झाेली फैलाकर खड़ा होता है, ताकि चावल उनकी झाेली में गिर जाएं। इन चावलाें काे बेटी के घर से विदा होने के बाद पूरे घर में फेंका जाता है। ये रस्म क्यों निभाई जाती है इस बारे में बहुत कम लाेग ही जानते हाेंगे। आज हम आपको इस रस्म के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। जानें इसके कारणः- - जब वधु अपने घर से विदा होती है तब मां की झोली में चावल डालकर जाती है। एेसा माना जाता है कि इससे घर का भंड़ार घर की लक्ष्मी के जानें बाद भी भरा रहता है। - शादी के दौरान जब दूल्हे का आगमन लड़की के घर पर होता है तो उस समय दरवाजे की पूजा की जाती है। इस दौरान वधु पक्ष की ओर से लड़के पर चावल फेंके जाते हैं। इस रस्म काे करने से दोनों युगल जोड़ी के जीवन में खुशहाली और सुखसमृद्धि आती है। - चावल फेंकने का एक कारण यह माना जाता है कि इससे नव-विवाहित जोड़े को संतान सुख की प्राप्ति हाेती है और उनका भाग्य हमेशा उनका साथ देता है। - कई जगहाें में वधु के झोली में चावल और हल्दी डाली जाती है। इसका मतलब यह हाेता है कि जिस घर लड़की आई है वहां और उसके जीवन में हमेशा सुख-समद्धि रहें। - चावल फेंकने का एक कारण यह भी माना जाता है कि बेटी अपने माता-पिता काे उन सब चीज़ाें के लिए धन्यवाद कर रही है, जाे उन्हाेंने बचपन से लेकर अब तक उनके लिए की। - वहीं कुछ लाेग यह भी मानते हैं कि लड़की अपनी नई जिंदगी में प्रवेश कर रही है, इसलिए वह सारी नेगेटिविटी और बुरी चीज़ें पीछे छाेड़कर जा रही है। चावल ही क्याें? चावल भारतीय आहार में बेहद प्रमुख माने जाते हैं। इसके गुणों के कारण ही इन्हें शुभता, समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक माना गया है, जाे बुराई काे दूर करते हैं। इसी वजह से यह परंपरा निभाने के लिए एक आदर्श विकल्प है।
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