तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो मानसून में मनाया जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र मिलन और मानसून के दौरान प्रकृति को समर्पित है। तीज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है... इससे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
त्योहार कब मनाया जाता है?
"तीज" हर महीने अमावस्या के बाद तीसरे दिन और पूर्णिमा के बाद तीसरे दिन मनाया जाता है। मानसून के मौसम में यह त्यौहार हिंदू महीने श्रावण में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन और भाद्रपद के हिंदू महीने में घटते व बढ़ते चंद्रमाओं के तीसरे दिन मनाया जाता है। असल में तीज 3 बार आती हैं - जिन्हें हरियाली (हरी) तीज, कजरी / काजली तीज और हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। 2021 में हरियाली तीज 11 अगस्त, कजरी तीज 25 अगस्त और हरतालिका तीज 21 सितंबर को होगी।
भगवान शिव और पार्वती के मिलन का त्यौहार
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव की पहली पत्नी सती का अवतार हैं। अपने पिता की अस्वीकृति के विरोध में आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव दुखी हो गए और वापस चले गए। शिव को उनकी ध्यान की अवस्था से बाहर लाने और उन्हें फिर से अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने के लिए उनके 108 जन्म हुए। उनका 108वां जन्म देवी पार्वती के रूप में हुआ था।
माता पार्वती के साहस का प्रतीक
माना जाता है कि तीज त्योहार देवी पार्वती के साहस का प्रतीक है, जिन्होंने भगवान शिव के समर्पण के बाद 108 पुनर्जन्म लिए और उनके साथ वैवाहिक बंधन में बंधी। यही कारण है कि देवी पार्वती को तीज माता के नाम से भी जाना जाता है।
कैसे मनाया जाता है तीज?
इस अवसर पर, वैवाहित और अविवाहित महिलाएं एक साथ आती हैं और पूरी रात उपवास और प्रार्थना करती हैं। सुबह वो स्नान करके देवी पार्वती की पूजा करने के लिए लाल साड़ी, हरी-लाल चूड़ियां, मेंहदी और गहने पहनती हैं। इस बाद महिलाएं तीज कथा सुनती हैं और स्त्रियां बारी-बारी झूला-झूलते हुए तीज त्यौहार के गीत गाती हैं।
परंपरा से भरी हरियाली तीज
1. शादी के बंधन में बंधने वाली लड़कियों को त्यौहार से एक दिन पहले अपने होने वाले ससुराल वालों से उपहार मिलता है। उपहार में मेंहदी, चूड़ियां, कपड़े और मिठाइयां शामिल हैं।
2. इस दिन लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। शादीशुदा बेटियों को उनकी मां द्वारा उपहार, कपड़े और मिठाई दी जाती है।
3. पूजा पूरी होने के बाद तीज पर सुहागिन औरतें सास के पांव छूकर सुहागी देती हैं। जिनकी सास ना वो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा स्त्री को सुहागी दे सकती हैं।