कहते हैं जिंदगी एक ही बार मिलती है इसलिए इसे जी भर कर जियो। इस दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो जिंदगी के सफर में मिली दुख-तकलीफों को सहन नहीं कर पाते हैं और खुद को खत्म करके अपनी जिंदगी की रफ्तार को हमेशा के लिए रोक देते हैं। एक्टर सुशांत सिंह राजपूत भी इनमें से एक थे। इतना नाम कमाने के बावजूद वह खुद से ही हार गए और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। सुशांत की तरह विवेक ओबेरॉय भी कुछ ऐसा ही करने वाले थे लेकिन उनकी तकदीर में कुछ और ही लिखा था।
हाल ही में विवेक ओबेरॉय ने उस बुरे दौर का जिक्र किया जब वह पूरी तरह से टूट गए थे और निराश होकर गलत कदम उठाना चाहते थे। ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि सुशांत के फ्यूनरल में 20 लोगों को ही आने की इजाजत थी और मैं उन लोगों में से एक था। उन्हाेंने कहा- मैंने उस बारिश में सुशांत के पिता की टूटी हुई आंखें देखी थी।
विवेक आगे बताते हैं कि- सुशांत के शरीर को देखकर मेरे मन में सिर्फ यही ख्याल आया, दोस्त अगर तुमने ये सीन देखा होता, अगर तुमने देखा होता कि इस हरकत से उन लोगों पर क्या असर होगा, जिन्हें तुम प्यार करते हो, तो तुमने ये कदम नहीं उठाया होता।' एक्टर ने बाकी लोगों को सीख देते हुए कहा- अपने दिमाग में सब तेजी से चलाओ, सोचो आप अपनी जिंदगी खत्म करके उन लोगों के साथ क्या करोगे, जो आपसे प्यार करते हैं।
विवेक ने अपना समय याद करते हुए कहा- मैं खुशकिस्मत था कि मेरे पास घर, परिवार था, जिसने मुझे उस समय संभाला। मैं जमीन पर बैठकर अपनी मां की गोद में सिर रखकर बच्चों की तरह रोता था। मैं कहता था, ये मेरे साथ ही क्यों हुआ है। मैं एक दिन 40 मिनट तक रोया, तो मां ने पूछा, जब तुम अवॉर्ड जीत रहे थे, फेम और प्यार हासिल कर रहे थे क्या तब तुमने पूछा था मैं ही क्यों।
एक्टर ने इस बात का खुलासा किया कि वह भी सुशांत की तरह ही सोचते थे। वो कहते हैं, 'मैं वहां अंधेरे के किनारे पर था। ऐसा नहीं है कि मैंने उन चीजों के बारे में नहीं सोचा, जो सुशांत ने किया।' बताते चलें कि विवेक ऑबेरॉय ने 2 साल के ब्रेक के बाद रोहित शेट्टी की सीरीज द पुलिस फोर्स से कमबैक किया है।