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ये हैं वो ऐतिहासिक इमारतें, जिनका निर्माण भारतीय महिलाओं ने करवाया!

  • Edited By Priya verma,
  • Updated: 09 Jul, 2018 05:29 PM
ये हैं वो ऐतिहासिक इमारतें, जिनका निर्माण भारतीय महिलाओं ने करवाया!

इतिहास की बात करें तो धार्मिक,आर्थिक,राजनीरतिक,सामाजिक आदि लगभग हर क्षेत्र पर पुरुषों को दबदबा रहा है। महिलाओं की काबलियत को लेकर हमेशा से ही समाज ही समाज में दुविधा बनी रही है। आलोचनाओं के बावजूद भी कुछ महिलाएं ऐसी हैं,जो इतिहास में भी अपना योगदान दर्ज करवा चुकी हैं। ऐतिहासिक इमारतों के बारे में अगर बात की जाए तो हर किसी के दिमाग के पहले ताज महल का नाम आता है। दुनिया भर में प्रसिद्ध ताजमहल बनाने के पीछे की वजह एक औरत ही थी। सिर्फ ताजमहल ही नहीं इतिहास को देखा जाए तो ऐसी और भी कई इमारतें आज भी मौजूद हैं जो महिलाओं ने बनवाई थी। आइए जानें उन यादगार ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जो महिलाओं द्वारा निर्मित है।

 


1. इतमाद उद दौला, आगरा

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यह मकबरा नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा गियास के लिए बनवाया था। बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय इतिहास में यह पहली इमारत थी, जो संगमरमर से बनावाई गई थी। इस मकबरे में लाल और पीले बलुई पत्थरों का भी प्रयोग किया गया है। 


2.  रानी का वाव, पाटन

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रानी का वाव एक बावड़ी है, जिसका निर्माण ग्यारहवीं श्ताब्दी में किया गया था। इसे सोलंकी राजवंश में रानी उदयमती द्वारा अपने पति राजा भीमराव के लिए करवाया गया था। इसे खास मरु-गुर्जर शैली के द्वारा बनवाया गया था। अपने आप मे यह बावड़ी बहुत खास है। 


3. विरुपाक्ष मंदिर,पट्टदकल

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विरुपाक्ष मंदिर हम्पी में स्थित है, यह प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जिसमें इतिहास की झलक देखने को मिलती है। इसका निर्माण 740 ई.पू. में रानी लोकमहादेवी द्वारा अपने पति राजा विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लव शासकों पर विजय के उपलक्ष्य में पट्टदकल में बनवाया गया था। रानी लोकमहादेवी ने जब इस मंदिर का निर्माण करवाया तो इसे ऐश्वर्यशाली,अद्भुत लोकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाने लगा।


4. हुमायुं का मकबरा, दिल्ली

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इस मकबरे का निर्माण हुमायुं की पत्नी हमीदा बानु बेगम ने करवाया था। जिसमें भारतीय और पारसी शिल्पकारों द्वारा संयुक्त रुप से किया गया था। यह भारतीय इतिहास में पहला ऐसा मकबरा है, जिसमें पारसी गुम्बद का प्रयोग किया गया था। 


5. माहिम कॅासवे, मुंबई

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मुंबई में स्थित इस कॉसवे का निर्माण पारसी व्यापारी जमशेदजी जीजीभाय की पत्नी लेडी अवाबाई जमशेदजी ने करवाया था। 1843 में किए गए इस कॉसवे का निर्माण आज भी मुंबई के लोगों के लिए बहुत अहमियत रखता है। इसे बनाने के पीछे की वजह थी महिम नदी में हुआ एक हादसा। जिसमें 20 नाव दलदली भंवरयुक्त जमीन में पलट गई थी, जिसमें बहुत नुकसान भी हुआ था। यही वजह थी जिसके लिए अवाबाई जमशेदजी को इस कॉसवे का निर्माण करवाना पड़ा। 



 

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