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1 मई को ही क्यों मनाते हैं Labour Day? वजह जानकर चौंक जाएंगे

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 01 May, 2025 12:08 PM
1 मई को ही क्यों मनाते हैं Labour Day? वजह जानकर चौंक जाएंगे

नारी डेस्क: 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस भी कहा जाता है। यह दिन दुनिया भर के उन श्रमिकों को समर्पित है जो अपने परिश्रम से समाज और देश की तरक्की में योगदान देते हैं। यह दिन श्रमिकों के योगदान को सम्मान देने और उनके अधिकारों की रक्षा की याद दिलाने का अवसर है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि श्रमिकों को उचित वेतन, बेहतर कामकाजी हालात और सामाजिक न्याय मिलना चाहिए।

मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है?

मजदूर दिवस की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई थी। उस समय दुनिया में औद्योगिक क्रांति चल रही थी। फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों का शोषण किया जा रहा था। मजदूरों से दिन में 12 से 16 घंटे तक काम कराया जाता था। काम की जगहें असुरक्षित थीं और मजदूरी बहुत कम दी जाती थी। मजदूरों को न तो कोई सुरक्षा मिलती थी और न ही कोई सामाजिक लाभ। इन अन्यायों के खिलाफ मजदूरों ने आवाज उठाई और आंदोलन शुरू किए।

हैमार्केट घटना: मजदूर दिवस का आधार

मजदूर दिवस का सबसे महत्वपूर्ण इतिहास 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर से जुड़ा है। 1 मई 1886 को हजारों मजदूरों ने 8 घंटे के काम के दिन की मांग को लेकर हड़ताल की। 4 मई को शिकागो के हैमार्केट स्क्वायर में मजदूरों की एक शांतिपूर्ण रैली चल रही थी। तभी वहां एक बम विस्फोट हुआ। इस घटना के बाद पुलिस और मजदूरों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें कई लोग मारे गए और घायल हो गए। यह घटना दुनिया भर में मजदूर आंदोलनों के लिए एक मोड़ बन गई।

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1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस घोषित किया गया

1889 में पेरिस में 'दूसरी इंटरनेशनल' नामक एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन की बैठक हुई। इस बैठक में यह तय किया गया कि 1 मई को मजदूरों के सम्मान में हर साल अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसका उद्देश्य था, हैमार्केट के शहीदों को याद करना और मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करना। तब से 1 मई को दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस मनाया जाता है।

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दुनिया में आए बदलाव

8 घंटे का कार्यदिवस: अब कई देशों में कानूनन 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। यह मजदूरों के जीवन में बड़ा सुधार है।

श्रम कानूनों का विकास: अब मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन, सुरक्षित काम की जगह, ओवरटाइम का भुगतान और छुट्टियों जैसे अधिकार हैं।

ट्रेड यूनियनों का गठन: मजदूरों ने अपने हितों की रक्षा के लिए यूनियनें (संघ) बनाईं। ये यूनियन मजदूरों की आवाज़ उठाती हैं।

सामाजिक सुरक्षा: कई देशों में मजदूरों को पेंशन, स्वास्थ्य बीमा और बेरोजगारी भत्ता जैसे लाभ मिलने लगे हैं।

जागरूकता और एकजुटता: मजदूर अब अपने अधिकारों को समझते हैं और एकजुट होकर उनका बचाव करते हैं।

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भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में मजदूर दिवस पहली बार 1 मई 1923 को चेन्नई में मनाया गया था। इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने की थी। आज यह दिन भारत में सरकारी अवकाश होता है। इस दिन ट्रेड यूनियनें रैलियां और कार्यक्रम आयोजित करती हैं ताकि मजदूरों की आवाज़ को मजबूत किया जा सके।

आज भी क्यों ज़रूरी है मजदूर दिवस?

मजदूर दिवस सिर्फ एक छुट्टी नहीं है, बल्कि यह दिन हमें मजदूरों के संघर्षों, बलिदानों और जीत की याद दिलाता है। आज भी दुनिया के कई हिस्सों में मजदूरों को बहुत कम वेतन, असुरक्षित कार्यस्थल, बिना किसी सुरक्षा या सुविधा के काम करना पड़ता है। ऐसे में मजदूर दिवस हमें यह संदेश देता है कि हमें लगातार श्रमिकों के अधिकारों के लिए काम करते रहना चाहिए।

मजदूर दिवस एक महत्वपूर्ण सामाजिक दिन है जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि श्रमिकों को सम्मान, अधिकार और न्याय क्यों और कैसे मिलना चाहिए।

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