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महिलाओं की ड्राइविंग पर शक करने वालों को Seema Thakur ने ऐसे दिया मुंह तोड़ जवाब!

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 16 Jan, 2023 12:11 PM
महिलाओं की ड्राइविंग पर शक करने वालों को Seema Thakur ने ऐसे दिया मुंह तोड़ जवाब!

आज हमारे देश की महिलाएं क्या नहीं कर रही हैं? हर क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा कायम है। ऐसे में एक महिला सीमा ठाकुर भी है जो अपनी एक ऐसे क्षेत्र में अपना नाम बना चुकी हैं, जहां सिर्फ पहले पुरुषों का दबदबा था। सीमा हिमाचल राज्य परिवहन निगम की पहली महिला बस ड्राइवर है। वह इंटर-स्टेट रुट पर बस चलाती हैं। वो इस अंतरराज्यीय मार्ग पर बस चलाने वाली पहली  HRTC महिला ड्राइवर बन गई हैं। सोलन के अर्की की सीमा ने अपने शौक को जुनून में बदल दिया और आज इसी कारण  उन्हें लोग जानते हैं। इससे पहले तक सीमा ठाकुर शिमला सोलन के बीच चलने वाली इलेक्ट्रिकल बस चलाती रही हैं। उनका सफर उन्हीं की तरह शानदार है, आइए आज आप और हम उनके बारे में विस्तार से जानें...

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अंग्रेजी में किया है एमए

सीमा ठाकुर ने शिमला को कोटशेरा कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद प्रदेश विश्वविद्दालय शिमला से  अंग्रेजी में मास्टर किया है। पिता के बाद सीमा ने पेशे के रुप में ड्राइविंग करना शुरु किया। पिता के साथ बस में सफर के दौरान ही सीमा को बस चलाने का शौका पैदा हुआ था। पिता से ही उन्होनें तालीम ली और वह शिमला में मैक्सी कैब और छोटी बस चला चुकी हैं। उन्होनें मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, लोगों को लगता है कि मैं अंग्रेजी में एमए होने की वजह से कोई दूसरा करियर भी चुन सकती थी। आगे टीचर बन सकती थी या किसी प्रशासनिक सेवा की परीक्षा देकर अधिकारी बन सकती थी या किसी प्रशासनिक सेवा की परीक्षा देकर अधिकारी बन सकती थी या फिर कुछ और भी कर सकती थी। मेरे आगे भविष्य की कई राहें खुली थीं, लेकिन मैंने इनमें से किसी को भी चुनने की जगह अपने मन की सुनी। मेरा मन बस ड्राइवरी में ही रमता था और मैंने वही किया।

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पिता को देख हुआ बस चलाने का शौक

सीमा के पिता बलिराम ठाकुर भी एचआरटीसी में बस ड्राइवर थे। वह अक्सर लंबे रुट पर जाया करते थे और कई बार सीमा को साथ ले जाते थे। उन्होनें इसी इंटरव्यू में बताया करते थे और कई बार सीमा को साथ ले जाते थे। उन्होनें ये भी कहा कि लाडली होने के नाते वो पूरी टाइम मुझे अपने साथ बिठाए रखते थे और कभी-कभार मैं भी उनके गोद में बैठकर स्टेयरिंग थाम लिया करती थी। उन्होनें आगे बताया पहाड़ की उन घुमावदार सड़कों पर बस चलाते वक्त वो अक्सर गुनगुनाते थे। मैं भी सोचती थी कि उनकी तरह बस ड्राइवर की सीट पर बैठकर इन सड़कों पर रफ्तार भरुं। मेरे पिता का यही लक्ष्य रहता था कि उनकी सवारियां सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचे। इस बात ने मुझे भी प्रभावित किया और मैनें उनके लक्ष्य को अपना इरादा बना लिया। मैं खुशनसीब हूं कि मैं अपना ये सपना पूरा कर पाई।

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चालकों के लिए आवेदन करने वाली एकमात्र महिला बनीं

सीमा ने बस ड्राइवर बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए सबसे पहले हैवी व्हीकल लाइसेंस बनवाया। इसके बाद एचआरटीसी मे चालकों की भर्ती निकली तो उन्होनें आवेदन करने वाली वो अकेली महिला थीं। ड्राइविंग टेस्ट पास करने के बाद साल 2016 में उन्हें एचआरटीसी में नियुक्ति मिली गई। पहले शिमला में उन्हें निगम के टैक्सी चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। बाद में उन्होनें शिमला-सोलन के बीच चलने वाली 42 सीटर इलेक्ट्रिक बस भी चलाई।

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हो चुकी हैं सम्मानित

आपको बता दें कि अपनी उपलब्धियों के लिए सीमा को कई सम्मान से भा नवाजा जा चुका है। उन्हें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सम्मानित किया था और पूर्व राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय भी उन्हें प्रंशसा पत्र भेजकर सराहना कर चुके हैं।

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