नारी डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले ने न सिर्फ 26 निर्दोष जानें लीं, बल्कि कई परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। इस हमले में मनीष रंजन का परिवार भी शामिल था, जिनकी मौत ने उनकी पूरी दुनिया पलट दी। मनीष रंजन, जो हैदराबाद में खुफिया विभाग में कार्यरत थे, अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पहलगाम छुट्टियां मनाने आए थे। लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि यह पल उनके जीवन का आखिरी पल बन जाएगा।
हमले के समय मनीष रंजन अपने परिवार के साथ थे
आतंकी हमले के दौरान मनीष रंजन अपने परिवार के साथ पहलगाम के बैसरन इलाके में मौजूद थे। इस क्षेत्र की हरी-भरी वादियों में पर्यटक घुड़सवारी कर रहे थे और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले रहे थे, लेकिन आतंक का काला साया भी वहां मौजूद था। जब आतंकियों ने हमला किया, मनीष रंजन अपने परिवार के साथ वहां थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने पहले मनीष से उनकी पहचान पूछी और फिर उन्हें उनके परिवार के सामने गोलियों से छलनी कर दिया।

मनीष रंजन बिहार के मूल निवासी थे और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के हैदराबाद कार्यालय में मंत्रिस्तरीय विंग में तैनात थे। उनका परिवार पहलगाम में छुट्टियां मनाने आया था, और यह हमले के समय उनका आखिरी पल साबित हुआ। उनके परिवार के सदस्य और आसपास के पर्यटक यह दृश्य देखकर हक्का-बक्का रह गए। मनीष के परिवार के लिए यह सबसे बड़ी त्रासदी थी और उनका जाना एक अपूरणीय नुकसान है।
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों का शोक व्यक्त करना
मनीष रंजन की हत्या की खबर जैसे ही तेलंगाना में फैली, राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने इस हमले को "कायराना और अमानवीय" करार दिया। उन्होंने कहा, "इस तरह की घटनाएं भारत की आत्मा को झुका नहीं सकतीं।" मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से हमले में शामिल आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, "जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से आहत हूं। निर्दोष पर्यटकों की हत्या का यह कृत्य कायरता की पराकाष्ठा है। मैं पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"
पर्यटन पर खून की लकीर
"मिनी स्विट्जरलैंड" के नाम से मशहूर बैसरन घाटी, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जानी जाती है, आज आतंक के साये में सिसक रही है। मनीष रंजन जैसे तमाम पर्यटक जो यहां सुकून की तलाश में आए थे, उन्हें मौत का सामना करना पड़ा। यह हमला केवल मनीष रंजन या उनके परिवार पर नहीं, बल्कि उस कश्मीर की बदलती हुई तस्वीर पर हमला है, जिसे लोग धीरे-धीरे विश्वास से देखने लगे थे।
पहलगाम में अब पर्यटन की तस्वीर एक बार फिर खून से सनी हुई है। पहले जहां पर्यटक इस इलाके को शांति और खूबसूरती के रूप में देखते थे, वहीं अब यह आतंकवाद की निशानी बन चुका है। इस हमले ने न केवल उन परिवारों को तोड़ा, बल्कि कश्मीर की वह छवि भी धूमिल कर दी है जिसे लोग अब तक सहेज कर रखे हुए थे।