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नामुमकिन कुछ नहीं! देखी गरीबी कईं बार भूखे पेट सोई लेकिन हारी नहीं पीयू चित्रा

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 08 Feb, 2021 02:13 PM
नामुमकिन कुछ नहीं! देखी गरीबी कईं बार भूखे पेट सोई लेकिन हारी नहीं पीयू चित्रा

अगर आप कुछ करने का दम रखते हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा भी नहीं है कि सफलता अमीरों और गरीबों में फर्क करती है बल्कि सफलता तो हर एक को मिल सकती है लेकिन इसके लिए जरूरत होती है आपके कड़े प्रयासों की। आज हम आपको एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपने हौसले से न सिर्फ सफलता पाई बल्कि आज एक-एक के मुंह पर उनका नाम है। हम बात कर रहे हैं PU Chitra की जो एक भारतीय धाविका हैं। तो चलिए आपको पीयू की सफलता की कहानी बताते हैं। 

कौन हैं पीयू?

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पीयू का जन्म केरल में हुआ। वह आज न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों तक भारत का नाम रोशन कर रही हैं। पीयू की खास बात यह है कि वह 1500 किमी की दौड़ में एक्सपर्ट हैं। पीयू अपने नाम कईं गोल्ड मैडल भी कर चुकी हैं। उन्हें 2019 के दोहा एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक मिल चुका है।

संघर्षमयी रहा जीवन 

पीयू के लिए इस मुक्काम तक पहुंचान आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कईं समस्याएं देखी। उनके घर की हालत ठीक नहीं थी लेकिन फिर भी उनके माता-पिता ने कभी उन्हें पढ़ाने से मना नहीं किया था। परिवार का आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण भी उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाया। 

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खेतों में नंगे पांव दौड़ती थी 

कहते हैं न कि कुछ पाने के लिए आपको कईं मुसीबतों से भी गुजरना पड़ता है और ऐसा ही कुछ हुआ था पीयू के साथ। मैदान में दौड़ने से पहले पीयू गांव में नंगे पांव दौड़ती थी इसी से शुरूआत करने वाली पीयू ने ऐसी मेहनत की कि अपने नाम कईं गोल्ड मेडल कर लिए। पीयू ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ ही दौड़ना शुरू किया था। 

अपने नाम की यह उपलब्धियां

पीयू अपने नाम कईं उपलब्धियां कर चुकी हैं। पीयू को दक्षिण एशियाई खेलों में 1500 मीटर की दौड़ जीतकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद साल 2017 में एशियाई चैंपियनशिप में पीयू को स्वर्ण पदक मिला।  साल 2018 के एशियाई खेलों में कांस्य को अपने नाम किया और फिर 2019 में दोहा एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। 

देखीं कईं मुसीबतें 

पीयू के घर की हालत इतनी ठीक नहीं थी। उन्होंने कईं बार ऐसा समय भी देखा है जब उन्हें गरीबी के कारण भूखे पेट सोना पड़ा। खबरों की मानें तो स्कूल में पढ़ते वक्त पीयू को तब केरल सपोर्ट काउंसिल की ओर से रोज 25 रुपये मिलते थे। इतना ही नहीं इसके साथ ही उन्हें युवा एथलीटों की एक स्कीम के तहत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया उन्हें हर महीने 625 रुपे मिलते थे। 

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पीयू का नाम आज खेल जगत में हर कोई जानता है। पीयू ने अपनी सफलता से एक बात तो लोगों को सीखा दी है कि आप चाहे गरीब हो या फिर वक्त आपके हाथ में न हो लेकिन आपको सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता है। आप अपने पास कुछ न होने पर भी सफलता पा सकते हैं बस जरूरत होती है तो कड़ी सफलता की। 

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