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कहीं आप तो नहीं केक काटकर मनाते कान्हा का जन्मदिन? प्रेमानंद जी हैं इसके सख्त खिलाफ

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 16 Aug, 2025 06:09 PM
कहीं आप तो नहीं केक काटकर मनाते कान्हा का जन्मदिन? प्रेमानंद जी हैं इसके सख्त खिलाफ

नारी डेस्क:  आजकल कई लोग आधुनिक तरीके से जन्माष्टमी पर केक काटकर भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं, लेकिन इस पर कई संत-महात्माओं ने आपत्ति जताई है। राधा के सबसे बड़े भक्त यानी कि प्रेमानंद महाराज जी ने का कहना है कि "कृष्ण जन्माष्टमी कोई साधारण जन्मदिन नहीं है। यह भगवान के अवतार दिवस की पूजा है, इसे केक काटकर मनाना धर्म का अपमान है।"

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भक्ति और परंपरा के विरुद्ध है केक काटना

प्रेमानंद जी की मानें तो जन्माष्टमी पर केक काटने जैसी पाश्चात्य परंपराएं अपनाना भक्ति और परंपरा दोनों के विरुद्ध है। उनका कहना है कि भगवान का जन्मोत्सव मंत्र-जप, भजन, आरती, झूला झुलाने और प्रसाद चढ़ाने से मनाना चाहिए, न कि वैसा जैसे हम इंसानों का जन्मदिन मनाते हैं। परंपरा के विपरीत हिंदू धर्म में भगवान का जन्मोत्सव पूजन और भोग से होता है, केक जैसी परंपरा पश्चिमी संस्कृति से आई है। दरअसल जन्माष्टमी पर उपवास और फलाहार का महत्व है, जबकि केक में मैदा, अंडा, बेकिंग पाउडर आदि होते हैं। क्योंकि जब हम भगवान को भोग लगाते हैं तो उसमें शुद्धता और सात्विकता होनी चाहिए।

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जन्माष्टमी पर सही तरीके से कैसे मनाएं?

मध्यरात्रि (12 बजे) भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बाल गोपाल को झूले में विराजमान करें। पंचामृत स्नान (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) कराएं। धनिया पंजीरी, माखन-मिश्री, दूध, मक्खन, मिश्री, फल आदि भोग लगाएं। भजन-कीर्तन करें, घर में श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करें। झूला झुलाकर "नंद घर आनंद भयो" जैसे भजन गाते हुए उत्सव मनाएं। प्रेमानंद महाराज जी का  स्पष्ट कहना है कि भगवान का उत्सव भक्तिभाव से मनाओ, केक काटकर नहीं। 

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