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चांद पर नींद!  4 दिन का काम 11 दिन में कर स्लीप मोड में चला गया  प्रज्ञान रोवर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 04 Sep, 2023 05:33 PM
चांद पर नींद!  4 दिन का काम 11 दिन में कर स्लीप मोड में चला गया  प्रज्ञान रोवर

चंद्रयान-3 के रोवर 'प्रज्ञान' ने चंद्रमा की सतह पर अपना काम पूरा कर लिया है और अब यह निष्क्रिय (स्लीप मोड) अवस्था में चला गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को यह जानकारी दी। इससे कुछ घंटे पहले, इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं और चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी इसलिए इन्हें ‘‘निष्क्रिय'' किया जाएगा।

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 इसरो ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा- ‘‘ रोवर ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से 'पार्क' (खड़ा) किया गया है और निष्क्रिय (स्लीप मोड) अवस्था में सेट किया गया है। एपीएक्सएस और एलआईबीएस 'पेलोड' बंद हैं। इन पेलोड से आंकड़े लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर प्रेषित किए जाते हैं। '' वर्तमान में रोवर की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है और उसका सौर पैनल 22 सितंबर, 2023 को चंद्रमा पर अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख है। इसरो ने कहा- चंद्रयान का रिसीवर चालू रखा गया है।

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इसरो ने कहा-   ‘‘ अपने कार्य के दूसरे चरण के लिए इसके सफलतापूर्वक पुन: जागृत होने की आशा है! अन्यथा, यह हमेशा के लिए भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा।'' सोमनाथ ने कहा कि लैंडर ‘विक्रम' और रोवर ‘प्रज्ञान' अब भी काम कर रहे हैं और ‘‘हमारी टीम अब वैज्ञानिक साजो-सामान के साथ ढेर सारा काम कर रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी खबर यह है कि लैंडर से रोवर कम से कम 100 मीटर दूर हो गया है और हम आने वाले एक या दो दिन में इन्हें निष्क्रिय करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं, क्योंकि वहां (चांद पर) रात होने वाली वाली है।'' 

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इसरो प्रमुख ने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1' का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण होने के बाद मिशन नियंत्रण केन्द्र से अपने संबोधन में यह जानकारी दी।  इसरो प्रमुख ने बताया कि- लैंडर के भीतर रखकर भेजे गये रोवर ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर कदम रखने के बाद 100 मीटर तक चहलकदमी की है। लैंडर को चंद्रमा पर शिवशक्ति बिंदु पर उतारे जाने के बाद इस हिस्से पर अंधेरा होने से पहले कुछ दिनों का काम और बाकी है। उन्होंने कहा कि विक्रम और प्रज्ञान अंधेरे में रहते हुए अपने सौर पैनलों को बिजली बनाने से रोक देंगे और अगर 14 दिन बाद भी वह काम कर पाये तो यह बोनस होगा। 

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