अयोध्या के श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा आज दोपहर को खत्म हो गई है। पीएम मोदी इस दौरान पूरे कार्यक्रम में विराजमान रहे हैं। उन्होंने पूरी विधि-विधान के साथ अनुष्ठान की क्रियाएं की हैं और कमल के फूल के साथ पूजा-अर्चना की है। इसके बाद भगवान राम की मूर्ति की मनमोहक तस्वीरों लोगों को दिखाई गई हैं। अंत में पीएम ने रामलला के चरणों में लेटकर उनका आशीर्वाद लिया है। प्राण प्रतिष्ठा के खत्म होने के बाद पीएम ने जो विशेष कार्य किया है उसने एक बार फिर से लोगों का दिल जीत लिया है। प्राण-प्रतिष्ठा के ठीक बाद पीएम मोदी राम मंदिर निर्माण में शामिल हुए कर्मियों श्रमिकों पर फूल बरसाते दिखे हैं।
श्रमिकों से मिले पीएम मोदी
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम खत्म होने के ठीक बाद पीएम मोदी राम मंदिर के निर्माण में सहायक श्रमिकों से मिले हैं और उनपर पीएम ने पुष्प बरसाए हैं। उन्होंने इस दौरान सिया वर राम चंद्र की जय के जयकारे लगाए। बार-बार इस दौरान पीएम श्रमिकों का आभार जताते दिखे और राम मंदिर के निर्माण के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने प्राण-प्रतिष्ठा से पहले 11 दिनों का अनुष्ठान रखा था। वह सोमवार को जब कार्यक्रम के मंच पर पहुंचे तो उन्होंने 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान व्रत खोला। पीएम मोदी को निर्मोही अखाड़ा के स्वामी गोविंद गिरी जी महाराज ने चम्मच से जल पिलाया।
अभिजीत मुहूर्त में हुई प्राण-प्रतिष्ठा
रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दौरान गर्भगृह में पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की पूजा अर्चना की है और उसके बाद मूर्ति का अनुष्ठान किया गया। प्राण-प्रतिष्ठा की विधि दोपहर 12:20 से शुरु हुई और मुख्य पूजा अभिजीत मुहूर्त में संपन्न हुई। आपको बता दें कि ये मुहूर्त काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। यह कार्यक्रम पौष महीने की द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश में खत्म हुआ है। इसके बाद पीएम मोदी ने रामलला की आरती की और इस दौरान गर्भगृह में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी दिखे। 84 सैकेंड के अद्भूत योग के दौरान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई है।
राम भारत की चेतना है
अयोध्या में मुख्य यजमान के रुप में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल हुए पीएम मोदी ने राम के चरित्र की व्याख्या भी की है। पीएम ने कहा कि ये मंदिर मात्र एक मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि है, ये राम के रुप में राष्ट्र की चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था है। राम भारत का आधार है। राम भारत का विचार है राम भारत का विधान है, राम भारत का चिंतन हैं, राम भारत की प्रतिष्ठा है। राम भारत का प्रताप हैं राम प्रभाव हैं राम प्रवाह हैं राम नेति भी हैं राम नीति भी है, राम नित्यता भी है, राम निरंतरता भी है, राम व्यापक हैं, विश्व हैं विश्वात्मा हैं इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव शताब्दियों तक नहीं होता उसका प्रभाव हजारों वर्षों तक होता है।