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Nari

घर में है शादी तो अभी निपटा लें शॉपिंग, श्राद्ध में खरीदारी करने से नाराज हो सकते हैं पितर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 01 Sep, 2025 06:28 PM
घर में है शादी तो अभी निपटा लें शॉपिंग, श्राद्ध में खरीदारी करने से नाराज हो सकते हैं पितर

नारी डेस्क:  क्या आपके घर में शादी है या फिर आप काेई शुभ कार्य करवाने की साेच रहे हैं तो अभी से इसकी तैयारी कर लें। क्योंकि पितृपक्ष में नए सामान या शॉपिंग करने की मनाही  है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में कोई भी नया काम करना शुभ नहीं होता है। इस दौरान  विवाह, सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं


 पितृपक्ष / श्राद्ध क्या है?

हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक 15 दिन का समय पितृपक्ष कहलाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों (पूर्वजों)का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं। माना जाता है कि इन दिनों पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देती हैं।


 पितृपक्ष में शादी की खरीदारी क्यों वर्जित मानी जाती है?


यह अवधि पूरी तरह पितरों के लिए होती है, न कि भोग-विलास और नई चीज़ों के लिए। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि इस दौरान नए कपड़े, गहने या घर की बड़ी खरीदारी करने से पितर नाराज़ हो सकते हैं, क्योंकि यह समय शोक और तर्पण का होता है। ज्योतिष के अनुसार इन दिनों ग्रहों की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं रहती। इस दौरान शादी तय करना, गृह प्रवेश, वाहन या प्रॉपर्टी खरीदना वर्जित माना गया है।


इन दिनाें क्या कर सकते हैं?

इन दिनाें तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य किया जाता है। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत पूर्वजों की आत्माएं मृत्युलोक में भटकती रहती हैं. इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, दान और तर्पण करना चाहिए। लेकिन इस दौरान नई चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। इस दौरान पितरों के नाम से ब्राह्मण भोजन जरूर करवाना चाहिए। 


 

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