24 MAYSATURDAY2025 5:20:24 AM
Nari

NCERT की 'किताबों के हिंदी नाम' को लेकर विवाद, Parents समझें पूरा मामला और दें अपनी राय

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 25 Apr, 2025 06:32 PM
NCERT की 'किताबों के हिंदी नाम' को लेकर विवाद, Parents समझें पूरा मामला और दें अपनी राय

नारी डेस्कः आपके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं तो यह खबर आपके लिए खास है। दरसअल इस समय NCERT books  को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। वैसे तो नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानि (NCERT) की किताबें पूरे देश में पढ़ी जाती है लेकिन इस समय कुछ राज्यों में एनसीईआरटी किताबों के नाम को लेकर विरोध चल रहा है। दरअसल, एनसीईआरटी ने किताबों का इंग्लिश नाम बदलकर हिंदी कर दिया है और ये फैसला  राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) 2023 के तहत लागू किया गया है।

NCERT की नई किताबों के नाम पर हो रहा विरोध

कक्षा 1 और 2 की अंग्रेजी पुस्तक का नाम 'मृदंग' (Mridang, एक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्र) रखा गया है। कक्षा 3 की किताब का नाम 'संतूर' (Santoor, एक कश्मीरी लोक वाद्य यंत्र) है। कक्षा 6 की अंग्रेजी किताब का नाम 'हनीसकल' (Honeysuckle) से बदलकर 'पूर्वी' (Poorvi, एक राग का नाम) कर दिया गया और गणित की किताब का नाम 'गणित प्रकाश' रख गया है। इन नामों को लेकर कुछ राज्यों खासकर केरल और तमिलनाडु में विरोध हो रहा है जिन्होंने केंद्र सरकार पर 'हिंदी थोपने' का आरोप लगाया है।

हालांकि इस पर एनसीईआरटी का कहना है कि यह परंपरा पहले से चली आ रही है, और ये शीर्षक न तो अनुवाद योग्य हैं और न ही बदले जा सकते हैं, क्योंकि इनमें गहरे सांस्कृतिक और भाषाई अर्थ हैं। पाठ्यपुस्तकों के नाम भारतीय शास्त्रीय संगीत और सांस्कृतिक परंपराओं से प्रेरित हैं। ये नाम बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व और परिचय की भावना जगाते हैं। Mridang एक दक्षिण भारतीय वाद्य यंत्र,  'संतूर' (Santoor, एक कश्मीरी लोक वाद्य यंत्र) है, 'पूर्वी' (Poorvi, एक राग का नाम) है और मैथ्स की किताब का "गणित प्रकाश" का शीर्षक आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और श्रीनिवास रामानुजन जैसे महान भारतीय गणितज्ञों के योगदान को दर्शाता है।
PunjabKesari

तमिलनाडु में तीन भाषा नीति का विरोध

तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तीन भाषा नीति का विरोध कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों से हो रहा है। इस नीति के तहत स्कूलों में तीन भाषाओं- मातृभाषा, अंग्रेजी और एक अन्य भारतीय भाषा के अध्ययन को बढ़ावा दिया जाता है लेकिन तमिलनाडु इसे हिंदी थोपने का प्रयास मानता है। कई नेताओं का कहना है कि संस्कृत के जरिए उनकी पुरानी विरासत को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। तमिलनाडू के साथ महाराष्ट्र में भी हिंदी का विरोध हो रहा है। मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हाल ही में कहा था कि हिंदी सिर्फ मुखौटा है और केंद्र सरकार की असली मंशा संस्कृत थोपने की है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हिंदी के चलते  उत्तर भारत में अवधी, बृज जैसी कई बोलियां खत्म हो गईं, राजस्थान में भी उर्दू को हटाकर संस्कृत थोपने की कोशिश की जा रही है।

महाराष्ट्र में भी हिंदी का विरोध, इस कदम को माना मराठी पहचान पर चोट

महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) को लागू करने का फैसला लिया है। हालांकि  विपक्षी दल और क्षेत्रीय नेता इस कदम को मराठी पहचान पर चोट मान रहे हैं। राज ठाकरे का इस पर कहना था कि हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं। अगर हिंदी थोपने की कोशिश की तो टकराव तय है। बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 2025-26 से राज्य में मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, जिसका विरोध हो रहा है।

Related News