बच्चों को खेलना बेहद पसंद होता है। ऐसे में वे घर या पार्क में जाकर नई- नई गेम्स खेलने का मजा उठाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि खेल सिर्फ बच्चे को अंदर से खुशी ही नहीं बल्कि उसके शारीरिक व मानसिक विकास में भी मदद करता है? जी हां, खेलने से बच्चे के अंदर इम्यूनिटी पॉवर बढ़ती है। उसके दिमाग का सी तरीके से विकास होने के साथ उसे समाज में रहने और चुनौतियों का सामना करने की सीख मिलती है। तो चलिए आज नेशनल स्पोर्स डे के खास मौके पर हम आपको खेल खेलने के कुछ ऐसे फायदों के बारे में बताते हैं, जिसे जानकर आप हमेशा अपने बच्चे को खेलने के प्रति प्रोतसाहित करेंगे।
शारीरिक विकास
खेलने से शरीर के मांसपेशियों में गतिविधि होती है। ऐसे में उसकी हड्डियों और मांसपेशियों में मजबूती आती है। उसके दिमाग के साथ शरीर का भी बेहतर तरीके से विकास होता है। साथ ही वजन भी कंट्रोल में रहने में मदद मिलती है।
दिमाग का विकास
एक अध्ययन के अनुसार, खेल खेलने से बच्चों के दिमाग का विकास होता है। उसकी एकाग्रता बढ़ने के साथ दिमाग को बेहतर तरीके से काम करने की शक्ति मिलती है। ऐसे में वह चीजों को जल्दी सिखाता और समझता है।
सामाजिक भावनाओं को सिखना
अगर बच्चा खेलों में भाग लेता है तो वह दूसरों के साथ अच्छे से मिलता- जुलता है। वह सभी के साथ अच्छे से बात करना और एडजस्टमेंट करना सिखता है। इसतरह उसके सामाजिक कौशल में बेहतर तरीके से विकास होता है।
दिल और फेफड़े रहते हैं स्वस्थ
खेल की गतिविधियां कुछ हद तक दिल संबंधी व्यायाम की तरह होता है। इससे बच्चे के फेफड़ों को सही व बेहतर तरीके से काम करने की शक्ति मिलती है। फेफड़ों के सही ढंग से काम और गतिविधियां करने से दिल को मजबूती मिलती है। ऐसे में दिल स्वस्थ होने के साथ सांस लेने की प्रक्रिया में भी सुधार आता है।
इम्यूनिटी बढ़ाए
बच्चे का खेल खेलने से इम्यूनिटी बूस्ट होने में मदद मिलती है। खुली हवा में खेलने से शरीर का अच्छे से विकास होता है। साथ ही बच्चा आसपास के वातावरण में खुद को ढालने में सक्षम होता है। इससे ही बच्चे के शरीर में बैक्टीरिया के प्रति लड़ने की इम्यूनिटी बढ़ती है।
टीम वर्क की भावना
एक साथ अन्य बच्चों के साथ खेलने से बच्चा उनके साथ घूलता- मिलता है। इस तरह उसे सभी के साथ मिल- जुल कर रहने की आदत पड़ती है। इसतरह उसे समझ आती है कि किस तरह एक टीम बना कर काम किया जाता है। ऐसे में यह गुण उसे बड़े होने तक काम आता है।
प्रतियोगिता की भावना
इसतरह अन्य बच्चों के साथ खेल खेलने से बच्चे के अंदर स्पोर्ट्स मैन की भावना आती है। वह इन चीजों को अच्छे से समझता है कि खेल को खेलने के साथ टीम वर्क सिखता है। वह इस बात को समझता है कि जिंदगी में कभी हार तो कभी जीत का मुंह देखना पड़ सकता है। ऐसे में उसके अंदर सभी के साथ मिल कर रहने की भी भावना पैदा होती है।
धैर्य और सहनशीलता
खेल से बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होने के साथ धैर्य और सहनशीलता का भी गुण सिखता है। कभी तेज धूप और ठंड में भी इसे खेला जाता है। ऐसे में बच्चे को वातावरण के साथ तालमेल बनाने में मदद मिलती है। साथ ही खेल में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे बच्चे के अंदर धैर्य की भावना बढ़ती है। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चों को ऐसे खेलों के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे उसके अंदर धैर्य और सहनशीलता की भावना बढ़े।