नारी डेस्कः हिंदू धर्म में पूर्णिमा का खास महत्व है। पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पाठ-पूजा की जाती है। हर माह पूर्णिमा आती है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima ) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व रहा है। कार्तिक पूर्णिमा को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक के साथ आकाश में जगमगाता है इसीलिए इसे 'प्रकाश का पर्व' भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस खास पूर्णिमा पर दान करने से कई गुणा पुण्य मिलता है और कुछ विशेष उपाय करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान या पवित्र नदी पर स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा खास संयोग
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर शुरू होकर 16 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी। उदयातिथि के आधार पर कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर शुक्रवार को है। इसी के साथ इस साल कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रमा और मंगल एक दूसरे की राशि में रहेंगे और कार्तिक पूर्णिमा पर देर रात गजकेसरी राजयोग और इस दिन बुधादित्य राजयोग भी बन रहा है। 30 वर्ष बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का निर्माण होगा। 30 साल बाद शनि अपनी कुंभ राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप जो भी कार्य या दान करेंगे, उसका सौ गुना फल मिलेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के बाद दान किया जाए तो सभी देवी-देवताओं प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा घाट, नदी और तालाब में दीप दान करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और व्यक्ति कर्ज से भी मुक्त हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन, मुख्य द्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण जरूर बांधे और उसके चारों ओर दीपक
जलाएं। इससे जीवन में आने वाली बाधाओं से लोगों को मुक्ति मिलती है।
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथाएं | Kartik Purnima Se Judi Katha
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। कार्तिक पूर्णिमा को भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस दिन लोग स्नान करते हैं, दीपदान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण जी ने गीता का उपदेश दिया था। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहते हैं। बहुत से लोग पूर्णिमा का व्रत करते हैं और सत्यनारायण जी की कथा सुनते हैं। पूर्णिमा का व्रत करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। साथ ही सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा को देवी और देवता काशी में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं और दीप जलाते हैं इसलिए इस पावन दिन को 'देव दीपावली' कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और देवतों को असुर आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इससे खुश होकर देवता गण काशी में दीपावली मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए गरीब लोगों को दान जरूर करें। ऐसे जातक के घर कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती।
कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा | Kartik Purnima Vrat Katha
जो लोग इस दिन पूर्णिमा व्रत रखते हैं, वह इस दिन व्रत कथा जरूर सुनें।
पौराणिक कथा के अनुसार, तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसके तीन पुत्र थे- तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली। तारकासुर ने धरती व स्वर्ग लोक पर अपना आतंक मचा रखा था और इससे परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव से उसका अंत करने की प्रार्थना की थी जिसके बाद महादेव ने तारकासुर का वध किया था । इससे प्रसन्न हुए देवताओं ने शिव का गुणगान किया लेकिन तारकासुर के तीनों पुत्रों को यह सुनकर बड़ा दुख हुआ और पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या की। ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा और तीनों ने ही ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने को कहा। इसके बाद तीनों ने किसी ब्रह्माजी से तीन अलग अलग नगरों का निर्माण करवाने के लिए कहा- जिसमें सभी बैठकर सारी पृथ्वी और आकाश में घूम सकें। एक हजार साल बाद जब हम मिलें और हम तीनों के नगर मिलकर एक हो जाएं और जो देवता तीनों नगरों को एक ही बाण से नष्ट करने की क्षमता रखता हो वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया।
ब्रह्माजी के कहने पर मय दानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। तारकक्ष के लिए सोने का, कमलाक्ष के लिए चांदी का और विद्युन्माली के लिए लोहे का नगर बनाया गया। तीनों ने मिलकर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया। इंद्र देव, तीनों ही राक्षसों से भयभीत हुए भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव ने दानवों का नाश करने के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया। इस दिव्य रथ की हर एक चीज देवताओं से बनीं। चंद्रमा और सूर्य से पहिए बने। इंद्र, वरुण, यम और कुबेर, रथ के चार घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग प्रत्यंचा बनें। भगवान शिव खुद बाण बनें और बाण की नोंक अग्निदेव बने। इस दिव्य रथ पर भगवान शिव सवार हुए और भगवानों से बने इस रथ और तीनों भाइयों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जैसे ही ये तीनों, रथ की एक सीध में आए, भगवान शिव ने बाण छोड़ तीनों का नाश कर दिया। इसी वध के बाद भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। इसीलिए कार्तिक पूर्णिमा को 'त्रिपुरारी पूर्णिमा' भी कहते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर ये खरीदारी करना बेहद शुभ | Kartik Purnima Me kya Kharide
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ चीजों की खरीदारी करना भी बेहद शुभ माना जाता है। सोना-चांदी खरीदना काफी अच्छा माना गया है। घर धन-धान्य से भरा रहता है जीवन में धन की कमी नहीं होती।
माता लक्ष्मी को इस दिन नारियल जरूर चढ़ाएं। घर की दरिद्रता दूर करने का यह सबसे उत्तम उपाय है। इससे घर में सुख-समृद्धि और बरकत कभी नहीं जाती।
अगर आप किसी संकट में फंसे हैं तो माता लक्ष्मी को पलाश के फूल अर्पित करें। माता लक्ष्मी की आप पर कृपा बनी रहेंगी और आर्थिक संकट दूर होगा।
माता लक्ष्मी को लाल व गुलाबी रंग प्रिय है इसलिए पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को लाल व गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पित करें। घर में माता लक्ष्मी का वास होगा।
इस दिन चने की दाल खरीदें। चने की दाल का संबंध गुरु ग्रह से होता है । जिन लोगों का कुंडली में गुरु कमजोर होता है उन्हें यह उपाय जरूर करना चाहिए इससे माता लक्ष्मी और विष्णु जी प्रसन्न होते हैं।
पूर्णिमा के दिन श्रीयंत्र भी जरूर खरीदें। इससे कारोबार में सफलता और धन लाभ होता है। माता लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।
कार्तिक पूर्णिमा पर करें इन चीजों का दान | Kartik Purnima Par Kya Daan Kare
अन्न: गरीबों को अन्न दान करना सबसे उत्तम है।
वस्त्र: जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें।
धन: अपनी सामर्थ्य व श्रद्धा अनुसार धन का दान करें।
फल: फल दान करने से भी पुण्य मिलता है।
तिल: कार्तिक पूर्णिमा पर तिल का दान करें।
गुड़: गुड़ का दान करने से घर से दरिद्रता दूर होती है।
इन चीजों का दान करने से समस्त देवी देवता प्रसन्न होंगे और आपके जीवन में सुख-समृद्धि और पॉजिटिविटी का वास होगा।