23 NOVSATURDAY2024 4:05:03 AM
Nari

कौन थे Karpuri Thakur? कभी इंदिरा गांधी तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं कर पाईं थी गिरफ्तार

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 24 Jan, 2024 02:15 PM
कौन थे  Karpuri Thakur? कभी इंदिरा गांधी तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं कर पाईं थी गिरफ्तार

मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश के सबसे बड़े नागारिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया है। बता दें देश को आजादी दिलाने में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। भारत छोड़ो आन्दोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। वहीं कर्पूरी बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और 2 बार मुख्यमंत्री रहे हैं। लोग उन्हें प्यार से जन- नायक भी रहते थे। अब वो हमारे बीच तो नहीं हैं, पर सरकार ने उनके जीवनभर के योगदान और सामाजिक न्याय के प्रति उनके प्रयासों को  श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें सम्मानित करने का फैसला लिया है। आइए आपको बताते हैं कर्पूरी ठाकुर के बारे में...

PunjabKesari

कौन है कर्पूरी ठाकुर?

कर्पूरी बिहार के लोगों के बीच बहुत मशहूर हैं। उन्हें सामाज सेवी और ईमानदार नेता के तौर पर जाता है। साधारण से नाई परिवार में साल 1924 में जन्मे कर्पूरी कट्टर कांग्रेसी विरोधी थे और सियायत से बड़ा मुकाम हासिल किया। यहां तक कि Emergency के दौरान इंदिरा गांधी की तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका था। 

PunjabKesari

1970 और 1977 में मुख्यमंत्री बने थे कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी के राजनीतिक सफर के बात करें तो वो साल 1970 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। 22 दिसंबर 1970 को उन्होंने पहली बार राज्य की कमान संभाली थी। उनका पहला कार्यकाल महज 163 दिन का रहा था। 1977 की जनता लहर में जब जनता पार्टी को भारी जीत मिली तब भी कर्पूरी ठाकुर फिर से मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान उन्होंने समाज के दबे- पिछड़ों लोगों के हितों में काम किया। हालांकि ये कार्यकाल वो कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए। अपनी बेहतरीन काम से वो बिहार की सियासत में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए। कर्पूरी  समाजबाद की राजनीति कर रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ठाकुर के ही शागिर्द हैं। जनता पार्टी के दौर में लालू और नीतीश ने कर्पूरी के साथ रखतक ही राजनीति के गुर सीखे थे और कर्पूरी के कामों को आगे बढ़ाया।

PunjabKesari

बिहार की राजनीति का अहम चेहरा थे कर्पूरी 

राजनीति के एक्सपर्ट्स की मानें तो कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति का अहम चेहरा थे। बिहार के विकास में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बता दें बिहार में पिछड़ी आबादी करीब 52% है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी पकड़ बनाने के लिए कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते हैं। इसी ट्रिक को अपनाते हुए साल 2020 में कांग्रेस ने अपने घोषण पत्र में 'कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र' खोलने का ऐलान किया था।

Related News