नारी डेस्क: भारतीय घरों में रखा सोना सिर्फ एक परंपरा नहीं, अब देश की एक बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है। पिछले 15 वर्षों में भारतीयों ने करीब 12,006 टन सोना खरीदा, जिसकी कीमत आज के बाजार मूल्य के अनुसार करीब 700 अरब डॉलर (लगभग ₹58 लाख करोड़) तक पहुंच गई है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह निवेश बिना किसी सरकारी योजना या विदेशी सलाह के हुआ — बल्कि भारत की आम गृहिणियों ने चुपचाप यह धन अर्जित किया।
महिलाओं ने देश को बना दिया गोल्डन इंडिया
देश के जाने-माने बैंकर उदय कोटक ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “भारतीय गृहिणियां दुनिया की सबसे चतुर फंड मैनेजर हैं। जब दुनियाभर के सेंट्रल बैंक सिर्फ नोट छाप रहे थे, तब उन्होंने भारत में सोने की असली संपत्ति बसाई।”
इतने टन सोने ने बढ़ाया देश का खजाना
कुल खरीदा गया सोना (2010-2024): 12,006 टन
ज्वेलरी के रूप में: 8,696 टन
सिक्के और गोल्ड बार के रूप में: 3,310 टन
भारत में कुल सोना (अनुमान): 30,000 टन (घर, मंदिर, RBI सब मिलाकर)
आज की कीमत पर मूल्य: करीब $3.2 ट्रिलियन (₹266 लाख करोड़)

सोने ने दिए शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न
डॉलर में सोने की बढ़त (2007–2024): 298%
रुपये में बढ़त: 800%
S&P 500 रिटर्न: 276%
Nifty 50 रिटर्न: 292%
यानि सोने में किया गया निवेश शेयर बाजार के बड़े सूचकांकों से भी ज्यादा फायदेमंद रहा।
क्या भारत लौटाएगा अपना ‘लूटा हुआ सोना’?
इतिहास में भारत को "सोने की चिड़िया" कहा जाता था, लेकिन अब यही खजाना देश के घरों में फिर से जमा हो गया है। अगर सरकार इस सोने को सही तरीके से monetise करे, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
गोल्ड क्यों है सबसे भरोसेमंद निवेश?
महंगाई, युद्ध और वैश्विक संकट के दौरान भी सोने की चमक नहीं फीकी पड़ी।यह एक रियल एसेट है, जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है। निवेशकों का भरोसा इसमें सबसे ज्यादा होता है।
बिना किसी हेडलाइन, बिना किसी प्रचार के भारतीय गृहिणियों ने ऐसा धन सहेजा है, जो अब दुनिया की आंखों में चमक बन गया है। वे साबित कर चुकी हैं कि असली निवेश समझदारी से होता है — और सोने जैसा होता है।