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World Polio Day: आसान नहीं थी पोलिया के खिलाफ जंग, भारत ने नामुमकिन को किया मुमकिन

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 23 Oct, 2021 05:14 PM
World Polio Day: आसान नहीं थी पोलिया के खिलाफ जंग, भारत ने नामुमकिन को किया मुमकिन

हर साल  24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है।  पोलियो एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसने एक वक़्त में दुनियाभर के लिए डर की स्थिति पैदा कर दी थी, लेकिन भारत  इसे हराने में सफलता हासिल कर चुका है। तभी तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया है। यदि किसी देश में लगातार तीन वर्षो तक एक भी पोलियो का मामला नहीं आता है, तो उसे ‘पोलियो मुक्त देश’ घोषित कर देता है| 


2009 तक भारत की स्थिति थी खराब

इतिहास की तरफ देखें तो भारत में  हर साल एक लाख से भी ज्यादा बच्चे अपंगता के शिकार होते थे। 2009 तक भारत में पूरी दुनिया के आधे से अधिक पोलियो के मामले दर्ज किए जाते थे। दुनिया को लगता था कि इस बीमारी  से भारत नहीं लड सकता, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित कर दिया कि भारत के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रहने वाली रुखसार जो कि 2011 में 2 साल की थी, भारत में पोलियो की आखिरी शिकार थी।

 

कैसे हुई पोलियो के खिलाफ अभियान की शुरुआत

दिल्ली में अक्टूबर 1994 में पहली बार पूरे राज्य में पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई और दूसरा चरण दिसंबर में शुरू किया गया। साल 1994 में डॉक्टर हर्षवर्धन दिल्ली सरकार में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे. उन्होंने दिल्ली में तीन साल तक की उम्र के बच्चों के लिए पोलियो ड्रॉप अभियान बड़े स्तर पर शुरू किया और इसमें काफ़ी सफलता मिली। साल 1995 के दिसंबर महीने में भारत सरकार ने इस मुहिम को अपनाया और देशभर में लागू किया। 

 

2011 में आया आखिरी मामला

सरकार को पोलियो उन्मूलन में अभियान में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और एजेंसियों की मदद भी मिली जिनके जरिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाई गई। जनवरी 2011 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा ज़िले में पोलियो का टाइप-1 मामला सामने आया. भारत में पोलियो का यह आखिरी मामला था।  साल 2014 के मार्च महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया क्योंकि तीन साल से भारत में पोलियो का एक भी मामला सामने नहीं आया था.

 

क्या है पोलियो


पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो कि मुख्यत: छोटे बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है। विषाणु मुख्यत: मल-मौखिक मार्ग के माध्यम या किसी सामान्य वाहन द्वारा व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है, और आंत में दोगुना हो जाता है, वहां से यह तंत्रिका तंत्र में पहुंच जाता है तथा पक्षाघात पैदा करता है।

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