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भारत की पहली मूक- बधिर लॉयर Sara Sunny, सुप्रीम कोर्ट में केस लड़कर रचा इतिहास

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 29 Oct, 2023 10:09 AM
भारत की पहली मूक- बधिर लॉयर Sara Sunny, सुप्रीम कोर्ट में केस लड़कर रचा इतिहास

 'कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों'। सपने हर कोई पूरे कर सकता है, मंजिल हर कोई पा सकता है, बस जरूरत है लक्ष्य को पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करने की। ऐसा ही कुछ कर दिखाया सारा सनी ने। पेश से एडवोकेट सारा मूक- बधिर है, इसके बाद भी उन्होंने साइन लैंग्वेज में केस लड़कर इतिहास रच दिया। आइए आपको बताते है सारा की पूरी कहानी...

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बोलने में असमर्थ सारा ने लड़ा केस

भारत की न्यायिक प्रणाली में ऐसा पहला मामला देखने को मिला है जहां सुनने में असमर्थ एक वकील ने अपना मामला पेश किया। वर्चुअल प्रोसीडिंग में इंडियन साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर सौरव रॉय चौधरी की मदद से एडवोकेट सारा ने हिस्सा लिया। उनके लिए भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सचित ऐन ने अपील की थी कि ट्रांसलेटर को अनुमति दी जाए ताकि सारा कोर्ट की अच्छे से समझ सकें।

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केरल की रहने वाली हैं सारा सनी 

केरल के कोट्टायम की सारा एक बधिर वकील है जो बेंगलुरु में रहती हैं। वह अब एक प्रैक्टिसिंग वकील और ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की सक्रिय सदस्य हैं। वह ऐसे परिवार से आती है जिसने हर सुख- दुख में उसका साथ दिया। सारा की एक जुड़वा बहन मारिया भी हैं। दोनों बहनों ने उसी शहर के ज्योतिनिवास कॉलेज से बी. कॉम की पढ़ाई पूरी की है। मैरी ने अपेन पापा के नक्शेकदम पर चलते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट बनीं है। सारा का सपना सच हो गया है। अपनी खुशी का इजहार करते हुए सारा कहती हैं कि उनकी इच्छा थी कि वो सुप्रीम कोर्ट में एक केस लड़े, उन्हें लगा नहीं था कि उनका सपना इतनी जल्दी पूरा होगा। मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति में ऐसा हुआ तो इससे मेरे आत्मविश्वास को बल मिला और हिम्मत मिली है।

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