नारी डेस्कः नवजात व छोटे बच्चे को अक्सर हाथ व उंगलियों को मुंह में डालने की आदत होती है और कुछ बच्चे तो पैर की उंगलियां भी मुंह में डालते या चूसते हैं, अक्सर पेरेंट्स बच्चे की इस आदत को नॉर्मल समझकर इग्नोर कर देते है लेकिन ये आदत बच्चे को कई तरह की इंफेक्शन कर सकती है और यह आदत, बच्चों में होने वाली HFMD बीमारी का कारण भी बन सकती है, जिसे हैंड-फुट और माउथ डिसीज (Hand-Foot and Mouth Disease) कहा जाता है। यह एक तेजी से फैलने वाली इंफेक्शन है जिसके फैलने की संभावना, गर्मी और वर्षा के मौसम में अधिक रहती है। अचानक से शरीर पर लाल चकत्ते देखकर पेरेंट्स समझ नहीं पाते कि यह समस्या है क्या? चलिए इस संक्रामक बीमारी के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
छोटे बच्चे होते हैं HFMD का शिकार, लेकिन हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (HFMD) है क्या ?
वैसे ये इंफेक्शन किसी को भी हो सकती है लेकिन बड़ों की बजाए, ज्यादातर मामले छोटे बच्चों से ही जुड़े होते हैं। 10 साल से छोटे बच्चों को इसका खतरा सबसे अधिक रहता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो केवल मनुष्यों को ही हो सकती है। इसका नाम HFMD इसलिए पड़ा क्योंकि इस बीमारी मुंह में दर्दनाक फफोले और हाथ-पैरों पर चकत्ते होने लगते हैं। बच्चों के मुंह में दर्दनाक छाले और हाथों-पैरों पर त्वचा पर लालिमा (रैशेज) और छोटे-छोटे बारीक दाने नजर आते हैं।
इस वायरस को ठीक होने में एक हफ्ते का समय लग सकता है और यह स्वयं ठीक हो जाते हैं। ये कोई स्थायी असर या निशान नहीं छोड़ता लेकिन ये वायरस तेजी से फैलता जरूर है यानि एक बच्चे से दूसरे बच्चे को तेजी से हो सकता है। कुछ मामले अत्यधिक संक्रामक भी हो सकते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है। बहुत कम व दुर्लभ मामलों में, यह मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क में सूजन) जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। इस इंफेक्शन से बचने के लिए बच्चों को सही देखभाल और हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। प्रभावित बच्चे को पर्याप्त मात्रा में लिक्विड डाइट देने की जरूरत रहती है।HFMD का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है क्योंकि इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ही सप्ताह भर में आराम मिलने लगता है लेकिन दर्द और बुखार को कम करने के लिए डॉक्टरी सलाह पर कुछ दवाइयां दी जा सकती हैं।

HFMD होने का पहला लक्षण बुखार और गला दर्द
1. बुखार और गला दर्दः HFMD का पहला लक्षण बुखार हो सकता है। इसके बाद बच्चे को गले में दर्द, सुस्त होना, भूख कम लगना और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है।
2. मुंह में चकत्ते और घाव: 1-2 दिन के भीतर, मुंह के अंदर, जीभ और मसूड़ों पर लाल दाने या छोटे लाल धब्बे दिखाई देने लगते हैं जो बाद में छाले (फफोलों) में बदल जाते हैं। ये छाले खासतौर पर जीभ और मसूड़ों पर होते हैं, जिससे बच्चे को कुछ भी निगलने में तकलीफ होती है और वे ज्यादा लार बहाते हैं जो बच्चे एक से दो साल के होते हैं उनकी लार जयादा बहती है।
3. त्वचा पर लाल चकत्ते (रेशेज): मुंह के बाद हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर लाल चकत्ते दिखने लगते हैं जैसे छोटे-बारीक दाने हो। हालांकि कभी-कभी यह रैश, प्राइवेट एरिया, घुटनों या कोहनी पर भी हो सकते हैं
4. खुजली और पपड़ीः ज्यादातर मामलों में इन धब्बों पर खुजली नहीं होती होती लेकिन कुछ मामलों में खुजली भी हो सकती है। कुछ दिनों बाद, ये छाले सूखकर पपड़ी में बदल जाते हैं और रैश एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। ये निशान नहीं छोड़ते और एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं।
HFMD वायरस इंफेक्शन होने के कारण
-HFMD एंटरोवायरस (Enteroviruses) नामक वायरस के कारण होता है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला रोग है और बड़ों से ज्यादा यह बच्चों में होने की संभावना अधिक रहती है क्योंकि बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है।
-संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल कण जैसे नाक व गले का बलगम, लार के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खांसने या निकट संपर्क में आने से संक्रमण हो सकता है।
-यहां तक की वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में भी हो सकता है यानि यदि आप किसी बच्चे के डायपर बदलते हैं तो भी आप संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा, यह वायरस दूषित खिलौने, दरवाजे के हैंडल, बर्तन या अन्य वस्तुओं को छूने से भी वायरस फैल सकता है।

किन बच्चों पर इस वायरल इंफैक्शन का खतरा ज्यादा
-जिन बच्चों के मुंह में अधिक दर्द होती है या मुंह के आस-पास अधिक फफोले और पपड़ी हो जाए और बच्चा खाना-पीना बंद कर दें और किसी भी तरह का कोई लिक्विड आहार ना ले तो उसे निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है क्योंकि ये इंफेक्शन उनके लिए खतरनाक हो सकती है।
-बहुत कम मामलों में, यह मस्तिष्क संक्रमण (मेनिन्जाइटिस), लकवा या दिल व लंग्स (फेफड़े व हृदय की समस्याएं) की समस्याए पैदा करता है लेकिन अगर ऐसा कोई लक्षण बच्चे में दिखे तो जांच व सलाह जरूरी है।
-गर्भवती महिलाओं में HFMD आमतौर पर गंभीर नहीं होता लेकिन नवजात शिशुओं में कुछ मामले सीरियस हो सकते हैं।
HFMD का इलाज (Diagnosis)
HFMD का कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है और ना ही कोई टीका। आमतौर पर इसके लक्षणों और चकत्तों के आधार पर ही डॉक्टर दवाई दे सकता है। कुछ मामलों में, संक्रमित व्यक्ति के गले के स्वैब, मल या फफोलों की जांच की जा सकती है।
दर्द और बुखार का उपचार: इसमें बुखार और गले में दर्द आता है तो पेरासिटामोल (Acetaminophen) जैसी दवाएं लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती हैं। बच्चों को एस्पिरिन (Aspirin) नहीं देनी चाहिए, क्योंकि यह रेयेस सिंड्रोम (Reye’s Syndrome) नामक समस्या होने का खतरा बना रहता है। इसी के साथ कोई भी दवा बच्चे को डॉक्टर से पूछे बिना ना दें।
हाइड्रेशन: माता-पिता बच्चे को पर्याप्त तरल पदार्थ देते रहे ताकि वह हाइड्रेट रहे। ज्यादातर मामलों में बच्चे घर पर पेरेंट्स केयर में कुछ सावधानियां बरत ठीक हो जाते हैं।
HFMD से बचाव कैसे रखें?
HFMD के लक्षण दिखें तो बच्चों को तब तक घर पर रखना चाहिए जब तक कि उनके फफोले सूख न जाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बच्चा बार-बार फफोलों पर हाथ ना लगाए और मुंह में उंगलियां ना डालें। अच्छे से हाथ धोने की आदत इंफेक्शन से काफी बचाव करती है। संक्रमित व्यक्ति को अपने चेहरे को छूने से बचना चाहिए। बार-बार हाथ जरूर धोएं।
'इंफेक्शन से बचाव के लिए बच्चे के हाथ बार-बार धुलाने जरूरी है। बच्चा छोटा है और स्कूल जाता है तो स्कूल एंट्री लेते समय, सबसे पहले बच्चे के हैंडवॉश करवाना जरूरी है। खाना खाने से पहले भी हैंडवॉश करवाना जरूरी है। स्कूल स्टाफ का इस प्रति सजग होना जरूरी है कि बच्चों की स्वच्छता का ध्यान रखा जाए। अगर बच्चे में रेशेज, कोल्ड-कफ और बुखार जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो पेरेंट्स और डॉक्टर से संपर्क किया जाए, बच्चा घर पर पेरेंट्स की निगरानी में रहे और आराम करें। ऐसी स्थिति में उसे दूसरे बच्चों के संपर्क में आने से बचाव करें क्योंकि यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली वायरल बीमारी है। जब फफोले पूरी तरह सूख जाए तभी बच्चे को दोबारा स्कूल में भेजें ताकि दूसरे बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके। अगर बच्चे को हाथ और उंगलियां मुंह में डालने की आदत है तो उन्हें ऐसी एक्टिविटी में बिजी करें जिसमें हाथ व उंगलियों का इस्तेमाल हो जैसे कलरिंग-ड्राइंग या पजल व कोई अन्य गेम। ऐसा करने से बच्चे की मुंह में हाथ डालने की आदत भी छूटेगी और कई तरह के इंफेक्शन से बचाव होगा। पेरेंट्स घर पर बच्चे के रेगुलर इस्तेमाल किए जाने वाले खिलौने व सामान की साफ-सफाई बनाए रखें। बच्चे के कपड़े साफ-सुथरे और पूरी तरह सुखाए हो। बच्चे को छूने से पहले खुद के हाथ-पैर और मुंह भी धोएं व साफ-सफाई का ख्याल रखें। घर में कोई संक्रमित व्यक्ति है तो उससे बच्चे को दूर रखें। बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होती है इसलिए वह जल्दी संक्रमित हो जाते हैं। ' - निधि घई, (Headmistress, Apeejay Rhythms Kinderworld)

डॉक्टर से कब संपर्क करें?
अगर कंडीशन ज्यादा सीरियस लग रही है या बच्चा 6 महीने से छोटा हो। बच्चे को मुंह में दर्द ज्यादा हो या बच्चा कुछ भी खा पी ना रहा हो खासकर लिक्विड डाइट ना ले रहा है और चेहरे पर डिहाइड्रेटेड दिख रहा हो जैसे सुस्त, आंखें धंसी हुई, मुंह में सुखापन दिखे।
बच्चे को तीन दिनों से ज्यादा समय से बुखार बना रहे या बच्चे की इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो।
अगर बच्चे को सिरदर्द, मिर्गी, गर्दन में अकड़न, सुस्ती या बेहोशी जैसे लक्षण दिख रहे हो तो भी डॉक्टरी सलाह अति आवश्यक है।
अगर 10 दिनों के बाद भी लक्षण ठीक न हुए हो तो चेकअप जरूरी है। डॉक्टर इसके लिए लोशन-स्किन केयर ट्यूब और कुछ दवाइयां आदि दे सकते हैं।
डिस्कलेमरः उचित देखभाल और पूरी तरह स्वच्छता का ध्यान रखकर इसे फैलने से रोका जा सकता है। बच्चे को दर्द ज्यादा है या फिर वह कुछ खा-पी नहीं रहा तो डॉक्टरी परामर्श लेना अति आवश्यक है।