मार्गशीर्ष मास 20 नवंबस से आरंभ हो चुका है। इस पवित्र माह को अग्रहायण और अगहन मास भी कहा जाता है। इसे हिंदू धर्म में साल का नौंवा मास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, यह पवित्र महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। ऐसे में इस दौरान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस माह में भगवान शिव और प्रभु श्रीराम का विवाह भी हुआ था।
कहा जाता है कि पहले समय में इस मास को साल का पहला महीना माना जाता था। ऐसे में इस माह को बेहद पवित्र व पुण्यदायी मास माना जाता है। ऐसे में इस दौरान कुछ शुभ कार्य करने से जीवन की समस्या परेशानियां दूर होती है...
भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय मार्गशीर्ष मास
स्कन्दपुराण के वैष्णवखण्ड के अनुसार, इस मास को श्रीकृष्ण जी ने अपना प्रिय माह बताया है। ऐसे में इस दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा करने के बारे में बताया गया है। इस पवित्रा मास में नदी के स्नान के विशेष महत्व है। अगर आप नदी में नहीं जा सकते हैं तो घर ही पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाकर नहा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा मिलती है। मगर इस मास में सप्तमी और अष्टमी तिथि को मंगलकार्य करना वर्जित होता है। इन्हें माह की शून्य तिथियां कहा जाता है।
महाभारत में बताए गए इस मास के लाभ
महाभारत के अनुशासन पर्व के एक अध्याय में बताया गया है कि इस मास में एक समय भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही सामर्थ्य अनुसार, ब्राह्मणों को भोजन खिलाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, ऐसा करने वाले व्यक्ति के समस्त पाप व रोग दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इस माह में व्रत रखने से निरोगी और बलवान बनता है। ऐसा व्यक्ति को अगले जन्म में भी सुख-सुविधा का लाभ मिलता है। ऐसे में उन्हें जीवनभर अन्न व धन की बरकत बनी रहती है।
अन्न व चांदी का दान करने का विशेष महत्व
मार्गशीष मास में दान करने का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दौरान चांदी का दान करने से यौन संबंधी समस्याएं दूर होती है। इसके साथ ही व्यक्ति बलवान बनता है। इसके अलावा आप चाहे तो अन्न का दान भी कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, इस शुभ मास में अन्न का दान करने से मनचाहा फल मिलता है। इसके साथ ही जीवन के समस्त दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।