नारी डेस्क : दिवाली पूजा के लिए वास्तु अनुसार, घर के उत्तर-पूर्व कोने को विशेष महत्व दिया गया है, जिसे ईशान कोण कहा जाता है। यह स्थान न केवल ऊर्जा का स्रोत होता है, बल्कि यहां देवी लक्ष्मी का आगमन भी होता है। इस कारण, दीपावली पर पूजा के लिए इस स्थान को साफ और स्वच्छ रखना आवश्यक है। ईशान कोण को सजाने के लिए रंग-बिरंगे फूल, दीपक और शुभ चिन्हों का प्रयोग करें। साथ ही, यहां देवी-देवताओं की मूर्तियों या चित्रों को भी स्थापित करें, ताकि सकारात्मकता का संचार हो। इस स्थान पर पूजा करते समय ध्यान रखें कि चारों ओर रोशनी अच्छी हो, क्योंकि उजाला लक्ष्मी का स्वागत करता है और घर में समृद्धि लाने में मदद करता है। चलिए, जानते हैं वास्तु नियम।
खंडित मूर्तियों और चित्रों का नवीनीकरण
घर के पूजा घर में रखी देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र समय के साथ खंडित या धूमिल हो जाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ये नकारात्मक ऊर्जा का भी कारण बन सकते हैं। दिवाली से पहले सभी खंडित या धूमिल मूर्तियों को हटाकर उनकी जगह नई मूर्तियां स्थापित करें। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देगा और लक्ष्मी मां का स्वागत करने में मदद करेगा। यदि आपके पास कोई यंत्र है, तो उसकी आकृति और संरचना का ध्यान रखें। धूमिल या खंडित यंत्रों को हटा दें और नए यंत्र स्थापित करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होगा।
उपयोग में न आने वाली वस्तुओं का निपटारा
दिवाली से पहले घर की सफाई करना महत्वपूर्ण है। अक्सर हम पुराने या खराब सामान को सालों तक अपने घर में रखते हैं, सोचकर कि इसे ठीक करवा लेंगे। लेकिन वास्तु के अनुसार, ये वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बन जाती हैं। जितना संभव हो, इस दिवाली पर कबाड़ को बाहर निकालें। इससे न केवल घर की ऊर्जा साफ होती है, बल्कि लक्ष्मी मां का आगमन भी होता है।
मुख्य द्वार पर शुभ चिन्हों का अंकन
मुख्य द्वार को सजाना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा का पहला स्थान होता है। द्वार पर ॐ, स्वास्तिक, त्रिशूल और कलश जैसे मांगलिक चिन्ह अंकित करें, ये लक्ष्मी जी को आकर्षित करते हैं। आम और अशोक की पत्तियों की माला का तोरण घर के चौखट पर लगाना शुभ होता है। यह विशेष रूप से लक्ष्मी जी को प्रिय है।
प्रकाश का महत्व
दीवाली के अवसर पर प्रकाश का महत्व अत्यधिक होता है। लक्ष्मी का आगमन स्वच्छ और सुंदर स्थान पर होता है। घर के मुख्य द्वार पर प्रकाश की कमी नहीं होनी चाहिए। अमावस्या की रात के अंधकार को दूर करने के लिए दीप जलाएं। भवन के पूर्व-उत्तर हिस्से में पीले और लाल बल्बों की लड़ी लगाएं। यह जगमगाहट से भरा वातावरण बनाएंगे।
ध्यान और प्रार्थना
पूजा घर में ध्यान और प्रार्थना का विशेष महत्व होता है। ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिवाली पर नियमित ध्यान करें और लक्ष्मी जी से प्रार्थना करें। जो भी पूजा अर्चना करें, उसे सच्चे मन से करें। आपकी भावनाएं और श्रद्धा लक्ष्मी जी तक पहुंचेगी और आपके घर में सुख-समृद्धि लाने में मदद करेंगी।
विशेष यंत्रों का उपयोग
कुछ विशेष यंत्र हैं, जिन्हें दिवाली पर अपने पूजा घर में स्थापित करना शुभ माना जाता है। श्री यंत्र को समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। इसे अपने पूजाघर में स्थापित करें। कमल गटिका, यह भी लक्ष्मी के स्वागत के लिए एक विशेष यंत्र है, जिसे पूजा स्थान पर रखा जाना चाहिए।
दिवाली पर घर के पूजाघर की सही तैयारी न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता लाने में भी सहायक होती है। इन उपायों को अपनाकर आप अपने घर में लक्ष्मी जी का स्वागत कर सकते हैं और एक सुखद एवं समृद्धि से भरा जीवन जी सकते हैं। इस दिवाली पर अपने घर को रोशन करें, सकारात्मकता से भरें और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ एक नए अध्याय की शुरुआत करें।