नारी डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और सीजफायर उल्लंघन के बीच आज (सोमवार, 12 मई) दोपहर 12 बजे दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच एक महत्वपूर्ण बातचीत होगी। यह बातचीत सीमा पर हो रही गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए पहले से बनी आपसी सहमति की समीक्षा के लिए हो रही है।
पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान ने एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर बार-बार सीजफायर का उल्लंघन किया है, खासकर 24 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से। पाकिस्तान ने पहले छोटे हथियारों से फायरिंग की और बाद में ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद तोपों से भी गोलाबारी की।
इस माहौल में शनिवार को शाम 3:35 बजे पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO को फोन किया, और बातचीत में यह तय हुआ कि शाम 5 बजे से दोनों देश फायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोक देंगे। साथ ही यह भी सहमति बनी कि 12 मई को दोपहर 12 बजे फिर बातचीत की जाएगी ताकि पिछले फैसलों के पालन की समीक्षा की जा सके।
DGMO की क्या भूमिका होती है?
DGMO सेना में एक महत्वपूर्ण पद होता है। ये सीमा पर सेना की गतिविधियों, युद्ध की योजना, रणनीतिक निर्णय और आतंकवाद विरोधी अभियानों को देखते हैं। शांति के समय भी DGMO की भूमिका बहुत अहम होती है क्योंकि वे एलओसी पर स्थिति को नियंत्रित रखते हैं।
भारत-पाक DGMO की नियमित बातचीत
भारत और पाकिस्तान के बीच एक तय प्रोटोकॉल के अनुसार हर मंगलवार को दोनों देशों के DGMO ऑफिस के बीच हॉटलाइन पर बातचीत होती है। इसमें सीमा की स्थिति, किसी भी तरह का उल्लंघन, और शिकायतें दर्ज करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है।
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सीजफायर का इतिहास
2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौता हुआ था, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ समय बाद ही इसका उल्लंघन शुरू कर दिया। फरवरी 2021 में दोनों देशों के DGMO ने एक संयुक्त बयान जारी कर दोबारा सीजफायर का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई। इसके बाद 24 फरवरी 2021 से यह समझौता लागू हुआ, और काफी हद तक इसका पालन भी हुआ।
हाल के उल्लंघन
2022: 1 बार उल्लंघन
2023: कोई उल्लंघन नहीं
2024: 2 बार उल्लंघन
2025 (मार्च तक): 2 बार उल्लंघन
24 अप्रैल 2025 के बाद: लगातार उल्लंघन
क्यों है आज की बातचीत अहम?
सीजफायर समझौते के बावजूद पाकिस्तान लगातार उल्लंघन करता आया है। ऐसे में आज की DGMO वार्ता बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें यह तय होगा कि आगे शांति बनी रहेगी या नहीं। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि पहले हुई सहमति का कितना पालन हुआ।