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Corona: भारत बायोटेक ने कहा - पॉजिटिव मामलों से ही पता चलेगा वैक्सीन का असर

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 08 Dec, 2020 01:12 PM
Corona: भारत बायोटेक ने कहा - पॉजिटिव मामलों से ही पता चलेगा वैक्सीन का असर

दुनियाभर के लोगों की निगाहें वैक्सीन पर टिकी हैं। बहुत से देश वैक्सीन पर काम भी कर रहे हैं कुछ ने तो इमरजेंसी के लिए अप्रूवल भी ले लिया है। ब्रिटेन में आज से आम लोगों को वैक्सीन भी  दी जाएगी हालांक भारत भी पीछे नहीं है। हाल ही में भारत की स्वदेशी कोवैक्सिन के ट्रायल में हरियाणा के स्वास्थ्य और गृह मंत्री अनिल विज शामिल हुए थे लेकिन वैक्सीन लेने के बावजूद भी वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिसके बाद वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर कईं तरह के सवाल भी उठाए गए। अब इसी पर कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने सफाई दी है। 

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पॉजिटिव आने से ना घबराएं 

भारत बायोटेक की मानें तो ट्रायल में शामिल वॉलंटियर अगर पॉजिटिव पाए भी जाते हैं तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि वैक्सीन का डिजाइन ही कुछ ऐसा है कि 130 वॉलंटियर पॉजिटिव हो सकते हैं। यह जानकारी कंपनी की और से दी गई है। 

पॉजिटिव मामलों के बाद होगा एनालिसिस

हालांकि कंपनी ने यह भी कहा है कि जब इस तरह के इंफेक्शन के केस एक-तिहाई या दो-तिहाई तक पहुंच जाएंगे तब कंपनी एनालिसिस करेगी और इस आधार पर तय होगा कि ट्रायल्स में शामिल कितने वॉलंटियर्स का कितने समय तक फॉलोअप किया जाए ।

इस वजह से पॉजिटिव पाए गए अनिल विज 

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हाल ही में अनिल विज कोरोना संक्रमित पाए गए जिसकी जानकारी उन्होंने खुद फैंस के साथ साझा की थी। दरअसल संंक्रमित होने के कारण यह था कि उन्हें वैक्सीन की एक ही डोज दी गई और इसके बाद वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए। हालांकि इस पर कंपनी का कहना है कि इस वैक्सीन के दो टीके लगाए जाएंगे। पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28वें दिन लगेगी। दूसरी डोज लेने के दो हफ्ते बाद ही यह पता चल सकेगा कि वैक्सीन कितनी प्रभावी है। 

मीडिया रिपोर्टस की मानें तो अंतरराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों के ट्रायल में भी बहुत से पॉजिटिव केस सामने आए थे। वहीं वैक्सीन का असर देखने के लिए आधे लोगों को वैक्सीन का डोज दिया जाता है और आधे लोगों को प्लेसिबो। 

क्या होता है प्लेसिबो?

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दरअसल प्लेसिबो एक ऐसी चीज होती है जो शरीर पर किसी तरह का प्रभाव नहीं डालती। डॉक्टर इसका इस्तेमाल सिर्फ ये जानने के लिए करते हैं कि किसी व्यक्ति पर दवा लेने का कितना और कैसा मानसिक असर पड़ता है। 

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