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National Doctors' Day: बिहार की कादम्बिनी ने देश की पहली महिला डॉक्टर बन कायम की थी मिसाल

  • Updated: 01 Jul, 2018 12:36 PM
National Doctors' Day: बिहार की कादम्बिनी ने देश की पहली महिला डॉक्टर बन कायम की थी मिसाल

कहते है कि डॉक्टर भगवान का रुप होता है जो इंसान को नया जीवन देता है। इसलिए लोग डॉक्टर्स को खास अहमियत देते है और डॉक्टर्स के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए हर साल आज ही के दिन यानी 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते है कि देश की पहली महिला डॉक्टर कौन थी। 

 

 
चलिए आज हम आपको डॉक्टर्स डे के मौके पर देश की पहली लेडी डॉक्टर के बारे में बताते है जो कि बिहार की रहने वाली थी। बिहार के भागलपुर में 18 जुलाई 1861 में जन्मीं कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फिजीशियन थीं।

 


आपको दे कि कादम्बिनी पहली दक्षिण एशियाई महिला थी, जिन्होंने यूरोपीयन मेडिसिन में प्रशिक्षण किया था और 1886 में देश की पहली महिला डॉक्टर बनीं थीं। उसकी साल महाराष्ट्र की आनंदी बाई जोशी भी महिला डॉक्टर बनी थीं, लेकिन कादम्बिनी ने विदेश से डिग्री लेकर एक विशेषज्ञ डॉक्टर के रूप में अपना स्थान बनाकर एक रिकॉर्ड बनाया था। 

 


1878 में कादम्बिनी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी का एंट्रेस एग्जाम पास किया। यही पहली महिला थी जिन्होंने एंट्रेस एग्जाम पास किया था और देश की पहली ग्रेजुएट महिला होने का सम्मान भी कादम्बिनी ने ही अपने नाम किया था। इसके बाद कादम्बिनी हायर एजुकेशन के लिए यूरोप गईं, जब वह यूरोप से भारत वापिस लौटी तो उनके हाथ में मेडिसिन और सर्जरी की तीन डिग्रियां थीं। 

  


फिर 21 की उम्र में कादम्बिनी की शादी 39 साल के विधुर द्वारकानाथ गांगुली हुई थीं। कादम्बिनी के पति को पहली पत्नि से पांच बच्चे थे और कादम्बिनी ने तीन बच्चों को जन्म दिया। उन्होंने अपने आठ बच्चों की परवरिश बखूबी की। अपने डॉक्टरी करियर और परिवार के कर्तव्य को अच्छे से निभाया।

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