मानसून के मौसम में पनपने वाले मच्छर मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां फैलाते हैं। बहुत से लोग मच्छरों से होने वाली बीमारियों को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं। उन्हें लगता है कि मच्छरों के काटने से भी एचआईवी की बीमारी हो सकती है, जोकि गलत है। आज World Mosquito Day के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे सवालों का जबाव बताएंगे, जो शायद ही आपको पता हो।
क्या मच्छरों से फैलता है HIV?
अक्सर लोगों के मन में सवाल ये उठता है कि जब इंफेक्टेड इंजेक्शन के जरिए एचआईवी फैल सकता है तो मच्छरों के जरिए क्यों नहीं। एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मच्छर के भीतर हर तरह के वायरस सरवाइव नहीं कर पाते और एड्स का वायरस मच्छरों के पेट में जिंदा नहीं रह पाता। मच्छर के पेट में खून के साथ ही एचआईवी वायरस भी डाइजेस्ट हो जाते हैं और वह पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। अगर मच्छर किसी एचआईवी इन्फेक्टेड व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति को भी काटता है तो भी यह नहीं फैलता।
मच्छरों के काटने से खुजली क्यों होती है?
मच्छरों के काटने से शरीर में खुजली शुरू हो जाती है क्योंकि मादा मच्छर जब खून पीने के लिए अपना डंक आपके शरीर में चुभाती है तो त्वचा की ऊपरी पर्त पर छेद हो जाता है। आपके शरीर में कहीं भी छेद हो तो तुरंत खून का थक्का जम जाता है। थक्का जम ने पर मच्छर खून नहीं पी पाते इसलिए मच्छर अपने डंक से एक ऐसा रसायन छोड़ते है, जिससे खून का थक्का नहीं बनता। मगर इसके रिएक्शन से त्वचा पर खुजली होने लग जाती है और वह जगह सूज भी जाती है।
किस ब्लड ग्रुप को ज्यादा काटते है मच्छर
शोधकर्ता मानते हैं कि मच्छरों में इतनी क्षमता नहीं होती कि वे हर तरह के ब्लड ग्रुप को पचा सकें। ऐसे में वह उन्हेी लोगों को ज्यादा काटते हैं, जिनके खून में शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यही वजह है कि मच्छर O ब्लड ग्रुप के लोगों को ज्यादा काटते हैं क्योंकि उनके खून में शर्करा की मात्रा ज्यादा होती है।
पसीने की गंद भी करती है आकर्षित
शोध में सामने आया है कि मच्छर पसीने की गंध से आकर्षित होते हैं। जिन लोगों को पसीना ज्यादा आता है मच्छर उन्हें ज्यादा काटते हैं। पसीने में लैक्टिक एसिड, यूरिक एसिड तथा अमोनिया जैसे तत्व होते हैं और जो मच्छरों को ज्यादा आकर्षित करते हैं।
क्या मच्छर शाम को ही काटते हैं?
मच्छर सुबह शाम ज्यादा एक्टिव होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह दिन में नहीं काटेंगे। कुछ मच्छर ऐसे भी होते हैं, जोकि दिन के समय काट लेते हैं।
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