आज महाशिवरात्रि का पर्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। ऐसे में हर साल भोलेनाथ और माता- पार्वती के संगम को बेहद धूम- धाम तरीके से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हूं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अपने मनवांछित वर के लिए भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन को सुखी दांपत्य जीवन की इच्छा रखने वालों के लिए खास माना जाता है। आपको बता दें कि वैसे तो भोलेनाथ को वैरागी कहा जाता है पर उन्हें वैवाहिक जीवन के आदर्श के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में सुखी दांपत्य जीवन के लिए हर शादीशुदा जोड़े को माता पार्वती और भगवान शिव के वैवाहिक जीवन से कुछ बातों को सीख कर अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
समान अधिकार
भगवान शिव का अर्धनारीश्वर अवतार आधा पुरुष और आधी स्त्री का है।उनके आधे रूप में माता पार्वती समाहित थीं। सुखी वैवाहिक जीवन का मूलमंत्र भी यही है कि भले पति- पत्नी का शरीर अलग है, लेकिन वो फिर भी एक ही होते हैं। इसलिए पति- पत्नी समान अधिकार, सम्मान पाने के पात्र हैं।
आत्मा से प्यार
माता पार्वती और भोलेनाथ का संबंध प्यार की सही परिभाषा को दर्शाता है। मां पार्वती खूबसूरत, कोमल सी एक राजकुमारी थीं लेकिन उन्होंने भोलेनाथ को पति के रूप में चुना जो भस्मधारी थे और गले में सर्प पहनने वाले वैरागी थे। माता पार्वती ने उनका स्वभाव और अंतर्मन देखा और पति- पत्नी के प्रेम का ये ही सार होना चाहिए।
रिश्ते में ईमानदारी
वैवाहिक जीवन में ईमानदारी बहुत जरूरी है। माता पार्वती और भगवान शिव एक दूसरे का बहुत सम्मान करते थे। उनके रिश्ते में ईमानदारी था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि जब माता गौरी के पिता ने शिवजी का अपमान किया था तो वो ये बात बर्दाशत नहीं कर पाईं। उन्होंने यज्ञ में कूद कर अपनी जान दे दी। वहीं इससे भोलेनाथ का रौद्र रूप सामने आया था और उन्होंने दुनिया का विनाश करने के लिए तांडव किया था।
जिम्मेदारी
परिवार की जिम्मेदारी को अच्छे से बांटना ही सुखी वैवाहिक जीवन का रहस्य है। ऐसे ही कुछ भोलेनाथ और माता पार्वती करती थे। जब भोले तप में लीन होते थे तो माता पार्वती परिवार, पुत्रों और सभी देवी-देवताओं समेत सृष्टी की देखभाल करती हैं। इससे हमें सीख मिलती है जरूरत पड़ने पर पति- पत्नी को एक दूसरे की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। इससे प्यार भी बना रहता है।