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सावन महीने में नहीं कर पाए शिव पूजा तो आज बस पढ़ लें सत्यनारायण कथा,  हर मनोकामना होगी पूरी

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 09 Aug, 2025 10:56 AM
सावन महीने में नहीं कर पाए शिव पूजा तो आज बस पढ़ लें सत्यनारायण कथा,  हर मनोकामना होगी पूरी

नारी डेस्क:  आज सावन मास की पूर्णिमा तिथि है, जिसे रक्षा बंधन और श्रावणी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन कई मायनों में बेहद खास है। अगर पूरे सावन महीने में आप नियमित रूप से शिव पूजा नहीं कर पाए हैं, तो सावन पूर्णिमा पर भी भगवान शिव की कृपा पाने का अच्छा मौका होता है। इस दिन कुछ खास धार्मिक काम करने से पूरे महीने की पूजा का पुण्य मिल सकता है।


सावन पूर्णिमा पर करने योग्य छोटे लेकिन महत्वपूर्ण काम

 सुबह स्नान के बाद  शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें और“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। पूर्णिमा के दिन नदी, सरोवर या कुंड में स्नान को बहुत शुभ माना जाता है।  यह पापों का नाश और मन की शुद्धि करता है। इस दिन जरूरतमंद को अन्न, कपड़े या दक्षिणा जरूर दें। विशेष रूप से ब्राह्मणों को भोजन कराना पुण्यदायी होता है।


घर में पढ़ें सत्यनारायण कथा 


इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरूप की पूजा और कथा पढ़ना या सुनना बहुत शुभ माना जाता है। घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसके लिए सबसे पहले सूर्यदेव को अर्ध्य कर सत्यनारायण भगवान की रंगोली बनाएं।  अब एक लकड़ी की चौकी और पीला कपड़ा बिछाकर भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें। अब परिवार के ही किसी जानकार से सत्यनारायण की कथा का वाचन करवाएं और सभी लोग हाथ जोड़कर बैठकर सुनें। अब गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें। अब अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती करें। भोग में चढ़े प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों को बाटें।


सावन पूर्णिमा की व्रत कथा

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुंगध्वज एक नगर का राजा था जो शिकार करना पसंद करता था। एक बार पूर्णिमा के दिन राजा शिकार करने निकला और शिकार करते समय राजा थक गया। फिर वह एक बरगद वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा। राजा ने वहां बहुत से लोगों को सत्यनारायण की पूजा करते देखा. लेकिन राजा अपने अहंकार के कारण न तो उस पूजा में भाग लिया और न ही भगवान को सम्मान दिया। यहां तक कि राजा बिना प्रसाद लिए ही अपने नगर चला गया। जब वह अपने राज्य में पहुंचा, वह घबरा गया, क्योंकि दूसरे राज्य के राजा ने उसके राज्य पर हमला कर दिया था। राजा ने अपनी गलती को समझा और जंगल की ओर भागा। तुंगध्वज वापस उसी स्थान पर गया जहां लोग सत्यनारायण को पूजा कर रहे थे। राजा ने वहां पहुंचकर अपनी गलती के लिए माफी मांगी। इसके बाद से वह हर पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण की आराधना करने लगा, जिससे उसने लंबे समय तक राज्य किया। 
 

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