नारी डेस्क: नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें माता दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन को माता के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है। देवी चंद्रघंटा को साहस, शक्ति और साहसिक कार्यों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आइए जानें माता चंद्रघंटा की पूजा कैसे करनी चाहिए और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू।
माता चंद्रघंटा का स्वरूप
माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र का मुकुट सुशोभित होता है, जिसकी वजह से उन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। उनकी प्रतिमा का रंग स्वर्ण की तरह चमकदार होता है, और माता सिंह की सवारी करती हैं। माता चंद्रघंटा के दस भुजाएं होती हैं, जिनमें वे धनुष, बाण, तलवार, त्रिशूल, और गदा जैसे कई अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। यह देवी चंद्रघंटा की उस शक्ति का प्रतीक है, जो अधर्म और असुरों का नाश करती है और धर्म की स्थापना करती है।
माता चंद्रघंटा पूजा विधि
माता चंद्रघंटा की पूजा विधि में कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। सही विधि से पूजा करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। स्नान और ध्यान सबसे पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं और माता चंद्रघंटा का ध्यान करें। शुद्ध जल से स्नान के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
पांच घी के दीपक से माता चंद्रघंटा की पूजा
दीप प्रज्वलन पूजा की शुरुआत पांच घी के दीपक जलाकर करें। यह दीपक माता चंद्रघंटा के चरणों में रखें। फूल अर्पण माता को सफेद कमल या पीले फूल अर्पित करें। ये फूल माता के प्रिय माने जाते हैं और उन्हें अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं।
आरती और शंखनाद का विशेष महत्व
अक्षत और रोली माता को रोली और अक्षत चढ़ाएं। यह पूजा का अभिन्न हिस्सा है, जो माता के प्रति सम्मान और श्रद्धा को दर्शाता है। आरती और शंखनाद पूजा के अंत में माता की आरती करें और शंख बजाएं। ऐसा माना जाता है कि शंखनाद से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।जयकारा पूजा के दौरान परिवार के सभी सदस्य मिलकर माता के नाम का जोर से जयकारा लगाएं। यह वातावरण में ऊर्जा और उत्साह का संचार करता है।
भोग क्या लगाएं?
माता चंद्रघंटा को भोग में केसर या दूध से बनी मिठाई अर्पित करना चाहिए। केसर और दूध से बने भोग से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसके बाद दुर्गा चालीसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। यह पाठ करने से माता की कृपा और आशीर्वाद मिलता है, और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
माता चंद्रघंटा पूजा का महत्व
माता चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होती है, जो अपने जीवन में संघर्षों का सामना कर रहे होते हैं। यह माना जाता है कि माता की कृपा से व्यक्ति के जीवन से भय, चिंता और दु:ख दूर होते हैं और उसे आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। माता चंद्रघंटा अपने भक्तों को शत्रु भय से मुक्त करती हैं और उन्हें जीवन में विजयी बनाती हैं।
अतिरिक्त उपाय और सुझाव
1 वस्त्र पूजा के दौरान सफेद या पीले वस्त्र पहनने का महत्व होता है। ये रंग माता चंद्रघंटा को प्रिय होते हैं और इनसे पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
2. मंत्र पूजा के दौरान माता चंद्रघंटा का मंत्र "ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः" का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
3. कन्या पूजन माता चंद्रघंटा की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन का भी महत्व होता है। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन से माता दुर्गा विशेष प्रसन्न होती हैं।
4. दान पूजा के बाद गरीबों को दान देना चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और माता की कृपा से जीवन में समृद्धि आती है।
माता चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। माता के आशीर्वाद से जीवन में शांति, समृद्धि और शक्ति का संचार होता है। उचित विधि से पूजा करके और केसर या दूध से बने भोग अर्पित करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।