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Nari

Premature Baby के लिए जादू से कम नहीं है मां की आवाज, नई रिसर्च में हुआ खुलासा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 16 Oct, 2025 12:47 PM
Premature Baby के लिए जादू से कम नहीं है मां की आवाज, नई रिसर्च में हुआ खुलासा

नारी डेस्क: मां की आवाज बच्चे के लिए सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव के लिए नहीं, बल्कि मस्तिष्क के उन हिस्सों के विकास के लिए भी जरूरी है जो भाषा सीखने और communication से जुड़े हैं। विशेषकर premature शिशुओं के लिए, मां की आवाज बेहद जरूरी है। इससे ये शिशु भाषा संबंधी देरी से बच सकते हैं और बेहतर सुनने-समझने की क्षमता विकसित कर सकते हैं। एक अध्ययन से पता चला है प्रीमैच्योर बच्चों को अगर कष्ट की स्थिति में मां की आवाज सुनाई दे जाए तो बच्चे को दर्द का अहसास कम हो जाता है। 


क्या कहती है स्टडी

स्टेनफोर्ड और सहयोगी संस्थानों ने 46 ऐसे नवजात शिशुओं पर अध्ययन किया जो बहुत समय से गर्भ से पहले (कम-उम्र या premature) जन्मे थे।  इन शिशुओं को देर रात मां की आवाज सुनाई गई । मां ने एक कहानी रिकॉर्ड की और यह रिकॉर्डिंग शिशुओं को अस्पताल में रात के समय सुनाई गई।   MRI स्कैन से यह देखा गया कि जिन शिशुओं ने मां की आवाज सुनी, उनके मस्तिष्क मेंभाषा-प्रक्रिया (language processing) से जुड़े न्यूरल पथ (neural pathways), खासकर left arcuate fasciculus नामक हिस्सा, अन्य शिशुओं की तुलना में ज़्यादा परिपक्व (mature) था।


 इसलिए मां की आवाज है जरूरी

 दूसरे शब्दों में, मां की आवाज़ ने मस्तिष्क के उन हिस्सों को बढ़ने में मदद की जो भाषा सुनने, समझने, और भाषा सीखने में महत्वपूर्ण हैं। गर्भ में रहते समय (लगभग 24 सप्ताह बाद) शिशु सुनने की शुरुआत करते हैं। गर्भस्थ शिशु मां की आवाज़ सुनते-समझते हैं और यह उनके लिए परिचित आवाज़ होती है।  लेकिन जो बच्चा जल्दी पैदा हो जाता है, वह उस समय अवधि से बाहर आ जाता है जब वह गर्भ में मां की आवाज़ सुनता रहता; अस्पताल की नर्सरी में आने पर अक्सर आवाज़ें, वातावरण और बोलने-सुनने की exposures कम होती हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए मां की आवाज़ एक “आसान और सुरक्षित interven­tion” हो सकती है, जिससे भाषा विकास (language development) में देरी को कम किया जा सकता है।

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