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जितिया (जीवित्पुत्रिका) व्रत किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए?

  • Edited By Monika,
  • Updated: 13 Sep, 2025 06:47 PM
जितिया (जीवित्पुत्रिका) व्रत किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए?

नारी डेस्क : जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए करती हैं। हिंदू धर्म में इसे छठ पूजा के बाद सबसे कठिन व्रत माना जाता है, क्योंकि इसमें माता निर्जला व्रत रखती हैं, यानी पूरे व्रत के दौरान भोजन और जल का सेवन नहीं करती।

जितिया व्रत के नियम तीन दिनों तक चलते हैं

नहाय-खाय: पहले दिन शुद्धता और स्वच्छता का पालन करते हुए स्नान और भोजन।
निर्जला व्रत : दूसरे दिन पूरी तरह से अन्न और जल का त्याग।
पारण: व्रत का समापन और पारण का समय।

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माना जाता है कि यह व्रत संतान के जीवन में किसी भी प्रकार के खतरे को दूर करता है और हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है। लेकिन सभी महिलाओं के लिए यह व्रत अनिवार्य रूप से सुरक्षित नहीं होता। कुछ महिलाओं को जितिया व्रत नहीं रखना चाहिए, और ये मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं।

गर्भवती महिलाएं (Pregnant Women)

गर्भवती महिलाएं जितिया व्रत नहीं रखें, क्योंकि यह निर्जला व्रत होता है। व्रत के दौरान कोई भोजन या जल नहीं लिया जाता, जो गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यदि आप गर्भवती हैं, तो व्रत न रखकर सिर्फ पूजा और आराधना के जरिए अपने शिशु की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना कर सकती हैं।

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निसंतान महिलाएं

जितिया व्रत मुख्य रूप से संतान की सुरक्षा, लंबी उम्र और खुशहाली के लिए किया जाता है। ऐसे में जिन महिलाओं को संतान नहीं है, उनके लिए यह व्रत रखना धार्मिक रूप से उचित नहीं माना जाता। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में परंपरा के अनुसार बड़े-बुजुर्ग निसंतान महिलाओं को व्रत रखने की सलाह भी देते हैं ताकि उनकी गोद जल्दी भर जाए। इसलिए यदि आप निसंतान हैं और व्रत करना चाहती हैं, तो घर के बुजुर्गों या परिवार की सलाह जरूर लें।

जो महिलाएं व्रत तो रखें लेकिन गलती से कुछ खा जाएं

अगर कोई महिला जितिया व्रत करने का संकल्प लेती है, लेकिन व्रत के दौरान जानबूझकर या अनजाने में कुछ खा-पी लेती है, तो उसे यह व्रत नहीं रखना चाहिए। क्योंकि व्रत के समय अन्न या जल का सेवन करना व्रत को तोड़ देता है और इसे अधूरा माना जाता है। इसलिए ऐसी स्थिति में व्रत को छोड़कर केवल पूजा और आराधना के माध्यम से अपनी मनोकामना पूरी करने पर ध्यान देना चाहिए।

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जितिया व्रत माता और संतान के लिए बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन सिर्फ वही महिलाएं इसे सुरक्षित रूप से रख सकती हैं जिनकी स्थिति इसके लिए अनुकूल हो। इस व्रत को सुरक्षित और सफल बनाने के लिए हमेशा शरीर की स्थिति और परिवार की परंपरा का ध्यान रखें।

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