नारी डेस्क: भारत में अनेक मंदिर हैं, जिनकी अपनी अनूठी मान्यताएं और परंपराएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां देवी को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में मिठाई या फल नहीं, बल्कि जूते-चप्पल शामिल हैं। यह मंदिर है जीजाबाई माता मंदिर, जो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है।
अनोखी पूजा की परंपरा
जीजाबाई माता मंदिर में देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जिन्हें बाल रूप में समर्पित किया गया है। इस मंदिर में आने वाले भक्त माता को जूते-चप्पल, कपड़े, चश्मा, छाता, इत्र, कंघा, घड़ी, और श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं। यह मान्यता है कि एक बेटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन वस्तुओं का चढ़ावा दिया जाता है।
मंदिर का महत्व
मंदिर की स्थापना लगभग 25 साल पहले की गई थी और यह मंदिर कोलार की पहाड़ियों पर स्थित है। भक्तों को यहां पहुंचने के लिए 125 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। जीजाबाई माता मंदिर में नवरात्रि और अन्य धार्मिक त्योहारों के दौरान भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। यह न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
मां की देखभाल
जीजाबाई माता की देखभाल एक बेटी की तरह की जाती है। यहां देवी को दिन में दो से तीन बार नए कपड़े पहनाए जाते हैं, और अब तक 25 वर्षों में कम से कम 15 लाख कपड़े बदले जा चुके हैं। माता रानी का श्रृंगार भी नियमित रूप से किया जाता है, जिससे उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रदर्शित होती है।
मनोकामनाओं का पूरा होना
यहां की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता को जूते-चप्पल और अन्य वस्त्र अर्पित करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्तों का विश्वास है कि देवी की कृपा से वे अपने जीवन की बाधाओं को पार कर सकते हैं।
जीजाबाई माता मंदिर न केवल अपनी अनोखी पूजा की परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक श्रद्धा का स्थान भी है। यहां की मान्यताएं और परंपराएं इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय संस्कृति में हर देवी-देवता के लिए अलग-अलग श्रद्धा और आस्था है। अगर आप भोपाल जाएं, तो इस अद्वितीय मंदिर का दर्शन करना न भूलें, क्योंकि यहां की पूजा पद्धति और भक्तों का प्रेम आपको एक अलग अनुभव देगा।