नारी डेस्क: जापान में एक बार फिर समुद्र की लहरें उफान पर हैं। रूस के पास 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद जापान और रूस में सुनामी की बड़ी लहरें उठीं। इन लहरों की ऊंचाई लगभग 6 फीट तक दर्ज की गई है। कई इलाकों में तेज हवाएं भी चल रही हैं। सोशल मीडिया पर इसके वीडियो वायरल हो रहे हैं और लोग घबराए हुए हैं।
जापान में 21 प्रांतों पर खतरा, 19 लाख से ज्यादा लोग बेघर
जापान के तटीय क्षेत्रों के 21 राज्य इस सुनामी की चपेट में आ सकते हैं। सरकार ने इन इलाकों में रहने वाले करीब 19 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश दिया है। लोग तेजी से अपने घरों को छोड़कर राहत केंद्रों की ओर जा रहे हैं। इस सुनामी ने लोगों को 2011 की भयानक तबाही की याद दिला दी है, जब समुद्र ने जापान में कहर बरपा दिया था।
क्या हुआ था 2011 में जापान में?
11 मार्च 2011 का दिन जापान के इतिहास में आज भी काले दिन के रूप में याद किया जाता है। उस दिन जापान के तोहोकू क्षेत्र के पास समुद्र में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था। यह जापान का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। भूकंप के कुछ ही मिनटों में 10 से 40 मीटर ऊंची सुनामी लहरें उठीं और समुद्र का पानी शहरों में घुस गया। कुछ इलाकों में तो पानी 10 किलोमीटर अंदर तक चला गया था। ओनागावा में रिकॉर्ड 40.5 मीटर ऊंची लहरें मापी गई थीं। कई शहरों में तो 10 मिनट के अंदर पानी भर गया था।
कितनी जानें गई थीं और क्या-क्या उजड़ा था?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 19,747 लोग मारे गए 6,242 लोग घायल हुए थे। 2,556 लोग लापता हो गए थे, जिनका आज तक कोई सुराग नहीं मिला। 1.2 लाख से ज्यादा इमारतें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थीं। 2.8 लाख से ज्यादा इमारतों को नुकसान पहुंचा था। इस तबाही से जापान को करीब 360 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था, जो अब तक की सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा बन गई थी।
फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में भीषण हादसा
सुनामी के कारण फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र में भीषण रेडियोधर्मी रिसाव हुआ। इसका मेल्टडाउन पूरी दुनिया में चिंता का विषय बन गया था। इसे चेरनोबिल (1986) के बाद दूसरी सबसे गंभीर परमाणु आपदा माना गया। इसके बाद हजारों लोगों को फुकुशिमा से हटाया गया और इलाके को खाली कर दिया गया।
तब से अब तक क्या बदला है?
2011 की त्रासदी के बाद जापान ने कई अहम कदम उठाए 400 किलोमीटर लंबी सुनामी दीवारें बनाई गईं ताकि समुद्र की लहरें अंदर न आ सकें शिंकनसेन (बुलेट ट्रेन) में भूकंप अलर्ट सिस्टम लगाया गया रेडियोधर्मी निगरानी को और सशक्त किया गया जनता को जागरूक करने के लिए मॉक ड्रिल की जाती है ताकि आपदा आने पर लोग खुद को बचा सकें।
क्या इस बार खतरा उतना ही बड़ा है?
फिलहाल, जापान और रूस के अलावा अमेरिका, न्यूजीलैंड, चीन, फिलीपींस, इंडोनेशिया और ताइवान जैसे देशों में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। हालांकि, 2011 जैसी तबाही अभी तक देखने को नहीं मिली है, लेकिन लहरों की तीव्रता और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
अलर्ट पर दुनिया, दुआ में लोग
पूरी दुनिया आज जापान की तरफ देख रही है डर, चिंता और प्रार्थना के साथ। जापान ने 2011 की त्रासदी से सीखा है, लेकिन प्रकृति का गुस्सा कब और कितना बड़ा होगा, कोई नहीं जानता। हमें उम्मीद है कि इस बार तबाही का मंजर दोहराया न जाए।