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सुख और वैभव के लिए Janmashtami पूजा के बाद श्रीकृष्ण के 108 नामों का करें जप

  • Edited By neetu,
  • Updated: 30 Aug, 2021 01:10 PM
सुख और वैभव के लिए Janmashtami पूजा के बाद श्रीकृष्ण के 108 नामों का करें जप

आज कृष्ण जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी का पावन त्योहार है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर आठवां अवतार लिया था। पौराणिक कथाओं अनुसार, कृष्ण जी का जन्म रात को 12 बजे हुआ था। ऐसे में लोग हर साल भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रात को 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दौरान बाल स्वरूप कृष्ण को स्नान करवाकर रंग-बिरंगे कपड़ों से श्रृंगार किया जाता है। इसके साथ ही पूजा की जाती है।


मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के 108 नामों का जाप करने से श्रीकृष्ण की असीम कृपा मिलती है। जीवन की सभी समस्याएं दूर होकर घर में सुख व शांति का वास होता है। चलिए आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम व उनका अर्थ बताते हैं...

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1. अनंता- अंतहीन देव।
2. अच्युत- अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
3. अद्भुतह- अद्भुत प्रभु।
4. आदिदेव- देवताओं के स्वामी।
5. अदित्या- देवी अदिति के पुत्र।
6. अजन्मा- जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
7. अजया- जीवन और मृत्यु के विजेता।
8. अव्युक्ता- माणभ की तरह स्पष्ट।
9. अमृत- अमृत जैसा स्वरूप वाले।
10. अनादिह- सर्वप्रथम हैं जो।
11. आनंद सागर- कृपा करने वाले।
12. अचला- भगवान।
13. अनंतजीत- हमेशा विजयी होने वाले।
14. अनया- जिनका कोई स्वामी न हो।
15. अनिरुद्धा- जिनका अवरोध न किया जा सके।
16. अपराजित- जिन्हें हराया न जा सके।
17. अक्षरा- अविनाशी प्रभु।
18. बाल गोपाल- भगवान कृष्ण का बाल रूप।

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19. बलि- सर्वशक्तिमान।
20. चतुर्भुज- चार भुजाओं वाले प्रभु।
21. दानवेंद्रो- वरदान देने वाले।
22. दयालु- करुणा के भंडार।
23. दयानिधि- सब पर दया करने वाले।
24. देवाधिदेव- देवों के देव।
25. देवकीनंदन- देवकी के लाल (पुत्र)।
26. देवेश- ईश्वरों के भी ईश्वर।
27. धर्माध्यक्ष- धर्म के स्वामी।
28. द्वारकाधीश- द्वारका के अधिपति।
29. गोपालप्रिया- ग्वालों के प्रिय।
30. गोपाल- ग्वालों के साथ खेलने वाले।
31. गोविंदा- गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
32. ज्ञानेश्वर- ज्ञान के भगवान।
33. हरि- प्रकृति के देवता।
34. हिरण्यगर्भा- सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35. ऋषिकेश- सभी इन्द्रियों के दाता।
36. जगद्गुरु- ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा- सभी के रक्षक।
38. जनार्धना- सभी को वरदान देने वाले।
39. जगन्नाथ- ब्रह्मांड के ईश्वर।
40. जयंतह- सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या- जिनमें सूर्य की चमक है।
42. कमलनाथ- देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. केशव- लंबे, काले उलझा ताले जिसने।
44. कामसांतक- कंस का वध करने वाले।
45. कंजलोचन- जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
46 कमलनयन- जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
47. कृष्ण- सांवले रंग वाले।

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48. लक्ष्मीकांत- देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष- तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन- प्रेम के प्रतीक।
51. माधव- ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन- मधु-दानवों का वध करने वाले।
53. महेन्द्र- इन्द्र के स्वामी।
54. मनोहर- बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
55. मनमोहन- सबका मन मोह लेने वाले।
56. मयूर- मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन- सभी को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली- बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59. मुरलीधर- मुरली धारण करने वाले।

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60. मुरली मनोहर- मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल- नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन- सबको शरण में लेने वाले।
63. निरंजन- सर्वोत्तम।
64. निर्गुण- जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. परमात्मा- सभी प्राणियों के प्रभु।
66. पद्महस्ता- जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
67. पद्मनाभ- जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
68. परब्रह्मन- परम सत्य।
69. परम पुरुष- श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी- अर्जुन के सारथी।
71. प्रजापति- सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य- निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम- उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन- सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्रजीत- हजारों को जीतने वाले।
76. सहस्रपात- जिनके हजारों पैर हो।
77. सहस्राकाश- हजार आंख वाले प्रभु।
78. साक्षी- समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन- जिनका कभी अंत न हो।
80. सर्वजन- सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक- सभी का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर- समस्त देवों से ऊपर।
83. सत्य वचन- सत्य बोलने वाले।
84. सत्यव्त- श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह- शांत स्वभाव वाले।
86. श्रेष्ठ- महान।
87. श्रीकांत- अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम- सांवले रंग वाले।
89. श्यामसुंदर- सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन- रूपवान।

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91. सुमेध- सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम- समस्त जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति- स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा- तीनों लोकों को जीतने वाले।
95. उपेन्द्र- देवराज इन्द्र के भाई।
96. वैकुंठनाथ- स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह- जिनका कोई आकार न हो।
98. वासुदेव- सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु- भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह- निपुण और कुशल।
101. विश्वरूपा- ब्रह्मांड हित के लिए अवतार लेने वाले।
103. विश्वकर्मा- ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति- पूरे ब्रह्मांड का रूप।
104. विश्वात्मा- ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व- धर्म के भगवान।
106. योगि- प्रमुख गुरु।
107. योगिनाम्पति- योगियों के स्वामी।
108. यदवेंद्रा- यादव वंश के मुखिया।

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