1987 में दिल्ली में जन्मी डॉ. कशिश अज़ीज़ पंजाबी मुसलमान हैं और हाल में गुणवत्ता के उपाध्यक्ष के रूप में यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड में कार्यरत हैं। वह मेहनती और समर्पित हैं और उनका काम और सामाजिक नैतिकता बेहद मजबूत है।
डॉ. कशिश अज़ीज़ का कहना है कि पूरे फार्मास्युटिकल उद्योग को सार्वजनिक स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए बहुत काम करना है। गुणवत्ता कभी भी आकस्मिक नहीं होती; यह हमेशा उच्च इरादे, ईमानदार प्रयास, बुद्धिमान दिशा और कुशल निष्पादन का परिणाम होता है, यह कई विकल्पों की बुद्धिमान पसंद का प्रतिनिधित्व करता है।
केवल एक स्वस्थ घोड़ा ही मजबूत बग्घी खींच सकता है। इसलिए यूनिक्योर टीम को मैं सुसंगत संदेश यही देती हूँ कि या तो गुणवत्ता पकड़ों नहीं तो नौकरी या छोड़ो।
डॉ. कशिश अज़ीज़ ने आवाज द वॉयस को बताया की वे टिपीकल पंजाबी मुसलमान परिवार से ताल्लुक रखतीं हैं जहां महिलाओं का काम करना बिलकुल भी मंजूर नहीं किया जाता और छोटी उम्र में ही उनकी शादी करा दी जाती है ऐसे में उन्होनें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बड़ा संघर्ष किया।
डॉ. कशिश अज़ीज़ को बचपन से ही विज्ञान का शौक रहा और उन्होनें डॉक्टर बनने का सपना भी देखा। उन्होंने 2004 में दिल्ली पब्लिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली के जामिया हमदर्द कॉलेज में प्रवेश लिया वहां से उन्होंने फार्मेसी में स्नातक की पढ़ाई की और फिर मास्टर्स किया जिसमें उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था।
इसके बाद उन्होंने फार्मास्यूटिक्स में पीएचडी पूरी की, जिसके लिए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी निदेशालय द्वारा इंस्पायर फेलोशिप से सम्मानित किया गया। वह क्वालिटी एश्योरेंस (क्यूए) में भी विशेषज्ञता रखती हैं। वह एक टेक्नोलोक्रेट, विनम्र और एक खूबसूरत महिला हैं।
डॉ. कशिश वर्तमान में गुणवत्ता के उपाध्यक्ष के रूप में यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड में कार्यरत हैं। वह मेहनती और समर्पित हैं और उनका काम और सामाजिक नैतिकता बेहद मजबूत है। फिलहाल डॉ. कशिश आईआईएम लखनऊ से एमबीए भी कर रही हैं। डॉ. कशिश एफओपीई युवा विंग का हिस्सा भी हैं और एफओपीई में सचिव के पद के साथ-साथ आईडीएमए (इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन) की सदस्य भी हैं।
डॉ. कशिश ने अपनी पुरानी दिनों को याद करते हुए कहा कि 20 वर्ष की आयु में 2007 में मेरी शादी कर दी गई और 21 वर्ष की आयु में मैंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया मगर साथ ही मास्टर्स (Master in pharmaceutics with specialisation in QA) में एडमीशन ले लिया और पति के कहने पर ससुराल से यह बात छुपाई।
जब ससुराल में पता चला तो हंगामा हुआ मैंने कठिन हालातों में अपनी परीक्षा दी और अपनी बच्चें को अपनी माँ के पास छोड़ा और अपने पापा की कम्पनी में अपना योगदान दिया इसमें मैने बहुत महनत की मेरी कामयाबी का श्रेय मेरे पिता को भी जाता है क्योंकि वो रूढ़ीवादी सोच से परे हैं और यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड में मेरी भागीदारी और श्रम को उन्होनें खूब सराहा मेने जी जान से अपनी यूनिट्स की डिज़ाइन और ऑपरेशनल पार्ट पर ध्यान दिया।
मेरा छोटा बेटा एक विशेष बच्चा है, उसके दूसरे जन्मदिन पर पता चला कि वह ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम से पीड़ित है। वह मेरी प्रेरणा हैं और मैं हमारे देश में विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए कल्याण करने की इच्छा रखतीं हूं। डॉ. कशिश कई ऑनलाइन इवेंट्स में भी आमंत्रित की जाती हैं ताकि वे समाज में स्वास्थ्य लाभ के बारे में जागरकता फैला सकें।
डॉ. कशिश कहतीं हैं कि हमारा मिशन अपने ग्राहकों और आम जनता को उच्चतम गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनके स्वास्थ्य और कल्याण के साथ कभी समझौता न किया जाए। एक आश्वस्त और भरोसेमंद ग्राहक आधार सुनिश्चित करना. हमारी टीम सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों के निर्माण के लिए लगन से लगी हुई है और लगातार प्रयास कर रही है।
2008 से Noida स्थित यूनिक्योर इंडिया लिमिटेड की यूनिट में मैं अपने पिताजी अब्दुल मतीन के साथ कार्य कर रहीं हूँ वहीँ बाकी प्लांट्स भी विजिट करतीं हूँ और पूरा दिल्ली नॉएडा भर्मण करते हुए अपनी जर्नी करतीं हूँ। डॉ. कशिश अज़ीज़ हमेशा महिला सशक्तीकरण और बाल कल्याण की विचारधारा का विस्तार करतीं हैं साथ ही उनका मानना है कि परिवर्तन ही एकमात्र स्थिरांक है। इसके अलावा डॉ. कशिश अज़ीज़ का मानना है कि फार्मास्युटिकल में भारत और कुछ हद तक भारतीय महिलाओं के रोजगार के लिए काफी संभावनाएं हैं।