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भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का पावन दिन उत्पन्ना एकादशी जानें, पूजा विधि और महत्व

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 25 Nov, 2024 09:02 AM
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का पावन दिन उत्पन्ना एकादशी जानें, पूजा विधि और महत्व

नारी डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पूरे साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, यानी हर महीने दो एकादशी (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष)। इनमें मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इसे भगवान विष्णु का प्रिय दिन माना गया है। इस दिन विष्णु भगवान और तुलसी माता की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। अगर आप एकादशी व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं, तो यह सबसे उपयुक्त दिन है।

उत्पन्ना एकादशी 2024 तिथि और समय

एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 नवंबर 2024, सोमवार, रात 1:01 बजे।

एकादशी तिथि समाप्त: 26 नवंबर 2024, मंगलवार, रात 3:47 बजे।

व्रत रखने का दिन: 26 नवंबर 2024, मंगलवार।

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उत्पन्ना एकादशी व्रत कौन रख सकता है?

उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी उम्र और वर्ग के लोग रख सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए रखा जाता है।
यदि कोई व्यक्ति पूरे साल 24 एकादशी व्रत रखना चाहता है, तो वह इस दिन से व्रत की शुरुआत कर सकता है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी को इसलिए महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इसी दिन एकादशी देवी का प्राकट्य हुआ था। इस व्रत को रखने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

पुण्य की प्राप्ति

इस व्रत से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप भी कट जाते हैं और उसे पुण्य का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न केवल वर्तमान जीवन को सुखद बनाता है, बल्कि मृत्यु के पश्चात भी आत्मा को शांति और सद्गति प्रदान करता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसके सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।

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सुख और समृद्धि

उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम माध्यम है। जो व्यक्ति इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसके घर में धन-धान्य और वैभव की कोई कमी नहीं रहती। परिवार में प्रेम और सौहार्द बना रहता है, साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत गृहस्थ जीवन को आनंदमय और सुखमय बनाता है।

मोक्ष का मार्ग

धर्मग्रंथों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत व्यक्ति को हर प्रकार के पाप और बुराई से मुक्त करता है। इसे करने से मनुष्य अपने कर्मों के बंधन से छूटकर मोक्ष (मुक्ति) की ओर अग्रसर होता है। यह व्रत भगवान विष्णु के आशीर्वाद से व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध करता है और उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। इसे करने वाला व्यक्ति परलोक में भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त करता है।

संतान प्राप्ति का वरदान

उत्पन्ना एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए फलदायक माना जाता है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से दंपत्ति को स्वस्थ और योग्य संतान का आशीर्वाद मिलता है। व्रत करने से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि संतान सुखद और धर्मपरायण बनती है। ऐसी संतान घर-परिवार का नाम रोशन करती है और वंश परंपरा को आगे बढ़ाती है।

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व्रत के नियम और पूजा विधि

1. व्रत रखने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।

2. भगवान विष्णु और तुलसी माता की विधि-विधान से पूजा करें।

3. दिनभर सात्विक भोजन करें या निर्जला उपवास रखें (अपनी क्षमता के अनुसार)।

4. एकादशी की रात जागरण करें और भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करें।

5. द्वादशी (अगले दिन) को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

विशेष योग

उत्पन्ना एकादशी 2024 को दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करना और तुलसी माता के साथ भगवान विष्णु की आराधना करना अत्यधिक फलदायक होगा। राशि अनुसार पूजा-पाठ से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

उत्पन्ना एकादशी पर विशेष संदेश

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए एक पावन दिन है। इस दिन व्रत और पूजा करने से न केवल भौतिक सुख मिलते हैं, बल्कि आत्मा की शुद्धि भी होती है। यह दिन आपके जीवन में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि लाने का सुनहरा अवसर है।
 


 


 

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