नारी डेस्क: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र आज करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, लेकिन उनका बचपन एक बहुत ही साधारण घर में बीता था। उनका ये घर पंजाब के लुधियाना जिले के साहनेवाल गांव में है, जहां से उनकी जिंदगी की असली कहानी शुरू हुई थी। एक बार जब धर्मेंद्र एक्टर विनय पाठक के शो ‘हर घर कुछ कहता है’ में पहुंचे, तो उन्होंने अपने बचपन के इसी घर की झलक दिखलाई थी।
बचपन का साधारण लेकिन खास घर
धर्मेंद्र का गांव वाला घर बाहर से बेहद साधारण दिखाई देता है पीले रंग की दीवारें, ग्रे कलर के दो लोहे के गेट और जाली वाला डिज़ाइन। यह किसी आम इंसान के घर जैसा ही लगता है, लेकिन अंदर कदम रखते ही इसका माहौल पूरी तरह बदल जाता है। घर के अंदर नारंगी रंग की दीवारें हैं। जब धर्मेंद्र ने इतने सालों बाद इन्हें देखा, तो वे भावुक हो गए और बोले “अरे, ये तो सब कुछ बदल दिया यार…”। यह घर सिर्फ ईंट और दीवारों से नहीं बना, बल्कि इसमें धर्मेंद्र के बचपन की अनगिनत यादें बसती हैं।
यादों से भरी दीवार
घर के लिविंग रूम की एक दीवार पर धर्मेंद्र और उनके परिवार की पुरानी तस्वीरें टंगी हैं उनके माता-पिता, भाई-बहन और बचपन के दिनों की यादें। धर्मेंद्र ने शो में इस दीवार को दिखाते हुए कहा था कि ये सिर्फ दीवार नहीं, बल्कि यादों का खज़ाना है। उन्होंने विनय पाठक को हर तस्वीर से जुड़ी कहानी सुनाई। यह दीवार इतनी खास है कि इसे देखकर कोई भी समझ सकता है कि असली सुंदरता महंगे सजावट के सामान में नहीं, बल्कि प्यार और यादों से सजी दीवारों में होती है। दिलचस्प बात यह है कि शाहरुख खान के दिल्ली वाले घर में भी गौरी खान ने ऐसी ही ‘फैमिली मेमोरी वॉल’ बनाई है।
टूटी कुर्सी का किस्सा
धर्मेंद्र ने अपने घर की एक टूटी कुर्सी की भी कहानी सुनाई थी। उन्होंने बताया “एक बार मैं और मेरा भाई खेलते-खेलते कुर्सी तोड़ बैठे। हमें पापा से बहुत डर लग रहा था, तो हमने उसे जैसे-तैसे जोड़कर ड्रॉइंग रूम में रख दिया। जब एक भारी-भरकम आंटी उस पर बैठीं, तो कुर्सी फिर टूट गई और पापा को सच्चाई पता चली। मैंने झट से कहा पापा, ये तो आंटी ने तोड़ी है!”
यह मज़ेदार किस्सा सुनाकर धर्मेंद्र खुद भी मुस्कुराने लगे थे, लेकिन उनकी आंखों में बचपन की वो मासूम यादें झलक रही थीं।

सादगी में छिपी महानता
450 करोड़ की नेटवर्थ के बावजूद धर्मेंद्र का दिल आज भी उसी गांव और उसी सादगी से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि जब वे अपने बचपन वाले घर में पहुंचे, तो उनका दिल भर आया। टूटी कुर्सी और यादों से भरी दीवार ने उन्हें फिर से उस मासूम दौर में लौटा दिया, जब वो सिर्फ धर्मेंद्र नहीं, धर्म सिंह देओल — एक गांव का सीधा-सादा लड़का थे।