जब लोग किसी चीज को लेकर भावुक या दुखी होते हैं तो आंखों से आंसू निकल जाते हैं। मगर, आंसू की जरूरत सिर्फ रोने ही नहीं, बहुत से कार्यों के लिए होती है। रोना सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है। आंसू ना सिर्फ आंखों की सतह को नम रखते हैं बल्कि उन्हें साफ भी करते हैं। मगर, कई बार आंसू नली में खराबी के कारण वो बाहर नहीं आ पाते या बार-बार आंखों से पानी आने लगता है। आज हम आपको यही बताएंगे कि आंसू नली में रुकावट (blocked tear duct) की समस्या क्या होती है और इसे कैसे दूर किया जाए...
आंसू नली में रूकावट होना क्या है?
आंसू आंखों के बीच मौजूद एक छोटी सी ट्यूब में होते हैं, जिसके जरिए वो भावुक परिस्थिति में बाहर आ जाते हैं। मगर, कभी-कभी ये ट्यूब संकुचित या बंद होने के कारण आंसू बाहर नहीं आ पाते हैं। ऐसे में आंख में मौजूद एक्स्ट्रा तरल से आंखों से बार-बार पानी आने लगता है। साथ ही इससे कई तरह की समस्याएं होने लगती है।
आंसू नली में रुकावट के लक्षण
. आंखों में लालपन या पस निकलना
. बार-बार इंफेक्शन होना
. धुंधलापन
. बार-बार पानी निकलना
. आंखों में बार-बार सूजन व भारीपन
. अंदरूनी कोने में दर्दनाक सूजन
. आंखों में जलन या सूखापन
. पलकों पर पपड़ी जमना
आंसू नली में रुकावट के कारण
1. आंख में ट्यूमर, नाक के मांस बढ़ना, कंजेक्टिवाइटिस, नाक पर चोट लगने के कारण आंसू नली में रुकावट आ सकती है।
2. उम्र से संबंधित समस्याएं या खोपड़ी का सही तरीके से विकास ना होने पानी के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
3. इसके अलावा नाक में इंफेक्शन, साइनस, चेहरे व खोपड़ी का सही विकास न होने के कारण भी आंसू नली में रुकावट आ सकती है।
रोने पर भी क्यों नहीं निकलते शिशु के आंसू?
दरअसल, भ्रूण के शरीर में एक नसोलेक्रीमल डक्ट नाम की झिल्ली होती है। जन्म के समय अगर शिशु की ये झिल्ली ना खुल पाए तो अश्रु नलिकाएं बंद हो जाती है। आंसू लाने वाली पाइपलाइन का सही से विकास ना हो पाने की वजह से शिशु की आंखों में आंसू नहीं आ पाते हैं। ऐसे में जब शिशु रोता है तो उनकी आंखों में सिर्फ नमी होती है। आमतौर पर आंसू नली का विकास में 3 महीने तक हो जाता है लेकिन ऐसा ना हो तो डॉक्टर से चेकअप करवा लें। अगर पाइपलाइन ना खुल पाए तो शिशु को बार बार साइनस, नाक में इंफेक्शन की समस्या रहती है।
आंसू नली में रुकावट का इलाज
1. ट्रीटमेंट के लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आंसू नली में रुकावट किस कारण हुई है। अगर इसका कारण ट्यूमर है तो डॉक्टर सर्जरी या ट्यूमर को छोटा करने की सलाह देंगे।
2. वहीं, इंफेक्शन या किसी वजह से आंसू नली बंद होने पर एक्सपर्ट ड्राप से एंटीबायोटिक दवाइयां देते हैं।
3. बच्चों में इलाज करवाने की जरूरत नहीं क्योंकि यह समस्या 2-3 महीने में खुद ब खुद ठीक हो जाती है। साथ ही बच्चे की आंख के किनारों पर दिन में 2 बार हल्के हाथों से मसाज करें। इससे अतिरिक्त तरल पदार्थ का स्राव होता है और आंसू नली के टिशू खुल जाते हैं।
4. एक मुलायम व साफ कपड़े को गुनगुने पानी में भिगोकर बच्चों की आंखों की सिकांई करें। आंसू नली निचली पलकों व नाक के बीच स्थित में मौजूद होती है।
आंखें शरीर का सबसे नाजुक व जरूरी हिस्सा है। आपकी जरा-सी लापरवाही के कारण इन्हें नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में आंखों की सही देखभाल करना बहुत जरूरी है।