चीन के शंघाई शहर के करोड़ों लोग दो साल बाद बेहद सख्त लॉकडाउन के दौर से गुजर रहे है। यहां कोविड-19 के मामलों का पता लगाने के लिए व्यापक पैमाने पर जांच करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। चीन की आर्थिक राजधानी और 2.6 करोड़ की आबादी वाले सबसे बड़े शहर शंघाई ने इससे पूर्व कोविड के मामले आने पर सीमित लॉकडाउन लगाया था जिनमें रिहायशी परिसरों और कार्य स्थलों को बंद किया गया था। निवासियों के अपने घरों से निकलने पर रोक लगा दी है, यहां तक कि उनके पालतू कुत्तों को चलने पर भी पाबंदी है।
वुहान के बाद लगा सबसे बड़ा lockdown
शहरव्यापी लॉकडाउन दो चरणों में लागू हुआ और वुहान के बाद यह सबसे बड़ा लॉकडाउन है। वुहान में ही 2019 के अंत में सबसे पहले कोरोना वायरस के मामले मिले थे और वहां पर 76 दिनों तक लॉकडाउन लगाया गया था। स्थानीय सरकार के अनुसार, शंघाई के वित्तीय केन्द्र पुडोंग जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों को सोमवार तड़के से शुक्रवार तक बंद रखा जाएगा और शहर में व्यापक स्तर पर कोविड-19 संबंधी जांच की जा रही है।
2.6 करोड़ की आबादी वाला शहर है शंघाई
लॉकडाउन के दूसरे चरण में हुआंगपू नदी के पश्चिमी इलाकों में शुक्रवार से पांच दिवसीय लॉकडाउन रहेगा। स्थानीय लोगों को घर पर ही रहना होगा। कार्यालय तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी निलंबित रहेंगी। पहले ही, 2.6 करोड़ की आबादी वाले शहर के भीतर कई गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी। शंघाई डिज़्नी पार्क भी बंद कर दिया गया है। मीडिया की खबरों के मुताबिक, वाहन निर्माता टेस्ला ने भी शंघाई संयंत्र में उत्पादन बंद कर दिया है।
शंघाई में मिले 3500 मामले
शंघाई में रविवार को कोविड के 3500 मामले मिले थे जिनमें से 50 लोगों में संक्रमित होने के बावजूद संक्रमण के लक्षण नहीं थे। चीन में इस महीने 56,000 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए, जिनमें से अधिकतर मामले जिलिन में सामने आए हैं। जिलिन ने कई शहरों में यात्रा प्रतिबंध और आंशिक लॉकडाउन लगाया है जिसमें चांगचुन भी शामिल है।
आर्थिक गतिविधियां हुई बाधित
चीन ने वैश्चिक महामारी के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ की रणनीति अपनाई है, जिसके चलते मामले बढ़ने पर अधिकतर आर्थिक गतिविधियां बाधित कर दी जाती हैं। चीन में 87 प्रतिशत आबादी का कोविड-19 रोधी टीकाकरण हो चुका है। इस बीच सोमवार को सरकारी प्रसारक सीसीटीवी ने खबर दी है कि हुनान प्रांत में महामारी रोधी नीतियों को सख्ती से लागू करने में नाकाम रहने पर 19 अधिकारियों को दंडित करने का आदेश दिया गया है।