एक समय में कोई जानलेवा बीमारी होने पर भारतीय लोगों विदेश का रूख करते थे, ताकि बेहतर इलाज हो सकते। लेकिन अब भारत में भी मेडिकल साइंस बहुत तरक्की कर रही है। इसका ताजा नमूना देखने को मिला दिल्ली के एम्स में, जहां डायलिसिस में चल रहे मरीज का पहली बार किडनी का ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया है। इस ऑपरेशन को एम्स के सर्जरी विभाग और नेफ्रोलॉजी विभाग ने मिलकर ऑर्गन रिट्रीवल बैकिंग संस्था (ओरबो) के साथ किया। बता दें ये बेहद ही मुश्किल ऑपरेशन था और इसके लिए देश के सबसे मंझे हुए डॉक्टरों की टीम एक साथ काम कर रही थी।
78 साल की ब्रेन डेड महिला बनी डोनर
किडनी डोनर एक 78 साल की ब्रेन डेड महिला थी।19 दिसंबर को इस महिला को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। दरअसल, गिरने की वजह से उसकी सिर पर चोट लगी थी। इलाज चल रहा था, लेकिन बाद में महिला को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि अंग दान के लिए महिला के परिवार वाले भी सहमत हो गए थे। वहीं जिस महिला का किडनी ट्रांसप्लांट होना था, उनकी एक किडनी थी और वो डायलिसिस पर चल रही थी। डॉक्टारों के मुताबिक ज्यादा उम्र में एक किडनी वो भी डायलिसिस पर काफी नहीं होता। बस डॉक्टरों ने दोनों किडनी लगाने का फैसला लिया।
एक के ऊपर एक लगाई गई किडनी
ये ऑपरेशन पिछले साल दिसंबर 22 को एक्सपर्ट टीम ने किया था। अब जाकर उन्होंने ये जानकारी मीडिया से शेयर की है। ऑपरेशन के दौरान दोनों किडनी को रिसीवर के दाहिनी तरफ, एक से ऊपर एक लगाया। मरीज की हालत अब ठीक है। डॉक्टर की टीम का कहना है कि ये ऑपेरेशन मुश्किल था क्योंकि सीमित जगह में उन्हें 2 किडनी लगानी थी। लेकिन उन्होंने आखिरी ये सफलतापूर्वक कर दिखाया। ये अपने तरह की इकलौती और देश की पहली सर्जरी है। हैरानी की बात ये है कि जहां पहले बुजुर्गों के अंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, पर इस बार इसका इस्तेमाल किया गया और ये सफल भी रहा।