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सक्सेस स्टोरी: मां की बीमारी से लिया सबक, मरीजों के लिए बना डाला Medimojo

  • Updated: 01 Jun, 2018 11:14 AM
सक्सेस स्टोरी: मां की बीमारी से लिया सबक, मरीजों के लिए बना डाला Medimojo

बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो मुसीबतों से बहुत कुछ सीख जाते हैं। जिंदगी में आने वाली मुश्किलों से सबक लेकर कुछ ऐसा काम कर जाना जो बाद में दूसरे के भी काम आए तारीफ के काबिल है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया झारखंड की रहने वाली डॉ. शिखा सुमन ने, वह मेडिमोजो नाम से एक स्टार्टअप चला रही हैं, जिसकी शुरूआत उन्होंने 2015 में की थी।


शिखा के इस मेडिमोजो की शुरुआत करने के पीछे भी एक वजह है। शिखा की मां को ब्रेन हेमरेज हो गया था। उनका इलाज दिल्ली में चला और वह कोमा में चली गई। उनकी मेडिकल रिपोर्ट डॉक्टरों को दिखाने के लिए उन्हें बार-बार दिल्ली जाना पड़ता था। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए शिखा ने इस समाधान ढूंढने के बारे में सोची। तब उन्हें विचार आया कि क्यों न ऐसा कुछ किया जाए कि दूरदराज के मरीज की पूरी हिस्ट्री डॉक्टर को आसानी से बिना किसी परेशानी से मिल जाए। इससे उस रोगी के इलाज की सारी रिपोर्ट डॉक्टर को आसानी से मिल जाए।


इस तरह शिखा ने मेडिमोजो नाम की कंपनी खड़ी कर दी, जिसमें उनके एक दोस्त विकास रंजन ने इस काम में उनकी मदद की। उन्होने मिल कर एक ऐप बनाया, जिसमें मरीज की मेडिकल रिकॉर्ड ग्राफिकल फार्मेट में डॉक्टर के सामने होती है। इससे डॉक्टर को मरीज के इलाज की पूरी जानकारी मिल जाती है और मरीज के परिवार वालों को भी बार-बार मेडिकल रिपोर्ट की फाइल लेकर डॉक्टर के पास जाना नहीं पड़ता। इससे दूर बैठे मरीज का रिपोर्ट का जायजा भी डॉक्टर आसानी से ले सकते हैं और बार-बार मरीजों के परिजनों को भी डॉक्टर के पास जाना नहीं पड़ता। इससे समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होती है।धीरे-धीरे करीब 10 महीने बाद पांच लोगो की यह कंपनी तीन करोड़ रुपय की कंपनी बन गई। 


कानपुर से आईआईटी शिखा बताती है कि वह सबसे पहले यह आइडिया लेकर वह और उसके दोस्त विकास रंजन दिल्ली की स्टारर्टअप टनल नामक संस्था के पास गए।  इस संस्था को उनका यह प्लान पसंद आया और यहीं से उन्हें पैसा और बैठने के लिए जगह भी मिल गई। रंजन ने नौकरी छोड़ इसी काम पर पूरा फोक्स किया और छतरपुर में स्थित इसी संस्था के कार्यालय में बैठने की जगह मिली और मेंटर भी मिला। यहीं पर उन्होंने स्टार्टअप के लिए वर्क स्टेशन बनाया। दस लाख रुपय की रकम खर्च करके काम की शुरुआत की। इस कंपनी का एप आज 40 हजार से ज्यादा लोग इस्तेमाल रहे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या झारखंड और बिहार के लोगों की है। शिखा बताती हैं कि उनके प्लेटफॉर्म पर लगभग 1.5 मिलियन मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड्स दर्ज हैं।


इस एप के इस्तेमाल करने के बारे में शिखा बताती हैं कि पेशेंट के मेडिकल रिकॉर्ड की एक फोटो लीजिए। इसे मेडिमोजो प्लेटफार्म पर अपलोड कर दीजिए। फिर सारी रिपोर्ट को मशीन लर्निंग सिस्टम से डेटा पुलआउट करके उसे हम ग्राफिक फॉर्मेट में दिखा देते हैं। जिससे रिपोर्ट का एक ग्राफ तैयार हो जाता है कि किस महीने कोलेस्ट्रॉल चेक करवाया को कब यह घटा। इससे मरीज और डॉक्टर दोनों को बहुत मदद मिलती है। इसी के साथ मशीन मरीज के रिकॉर्ड का विश्लेषण भी करती है। 


 

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