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प्रैग्नेंसी में इन लक्षणों से करें ओवरी कैंसर की पहचान

  • Updated: 14 Oct, 2017 12:20 PM
प्रैग्नेंसी में इन लक्षणों से करें ओवरी कैंसर की पहचान

कैंसर जैसी बीमारी हर व्यक्ति को दिन ब दिन मौत के चुंगल में फंसा रहीं है। ऐसे में कैंसर के लक्ष्णों को पहचानना बहुत जरूरी हो गया है खास कर प्रैग्नेंट महिलाओं के  लिए। प्रैग्नेंसी में महिलाओं को ओवरी कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इसकी जानकारी न होने के कारण ज्यादातर महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ जाती है। अगर महिलाएं समय-समय पर चेकअप करवाती रहें तो समय रहते इस गंभीर बीमारी का इलाज शुरू किया जा सकता है।
 

-अंडाशय प्रणाली
कई तरह की कोशिकाओं से निर्मित होने के कारण ओवरी कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। गर्भाश्य के आस-पास मौजूद दो छोटे अंगों को ओवरी या अंडाशय कहते हैं। इसी के द्धारा महिलाएं गर्भधारण करने में सक्षम होती हैं।  

-बीमारी का खतरा
महिलाओं के ओवरी में किसी तरह का विकार या घाव होने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। बीआरसीए 1 और बीआरसीए 2 जीन वाली महिलाओं में इस बीमारी के चांसेस बढ़ जाते है। इन जीन्सों से ओवरी को कैंसर को पनपने में मदद मिलती है।

-बीमारी के लक्षण
ओवरी कैंसर के लक्षण पता होने पर उसका इलाज करके इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा हर साल डॉक्टर से पेल्विक जांच कराने से भी इस बीमारी का पता चल जाता है। इसके अलावा इस बीमारी के होने पर आपके पेट दर्द, मरोड़, गैस, सूजन, डायरिया, कब्ज, भूख न लगना, अचानक वजन कम होना या बढ़ जाना और पीरियड्स न होने पर भी योनि से खून बहना जैसे लक्षण दिखाई देते है।

-उपचार
वैसे तो इस बीमारी का इलाज उसकी स्टेज पर निर्भर करता है। इसके अलावा इस बीमारी का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के प्रयोग द्धारा किया जाता है लेकिन यह सब बीमारी की शुरूआती स्टेज पर किया जाता है।

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