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विधि-विधान से  हरतालिका तीज करने से पति-पत्नी के रिश्ते में भर जाती है मिठास, जानिए महिमा

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 29 Aug, 2024 01:11 PM
विधि-विधान से  हरतालिका तीज करने से पति-पत्नी के रिश्ते में भर जाती है मिठास, जानिए महिमा

नारी डेस्क: हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जिसे विशेष रूप से हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं मनाती हैं। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा से जुड़ा हुआ है और इसे श्रद्धा, समर्पण और आस्था के साथ किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर भाद्रपद में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है।इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इसी तिथि पर महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकारा था।

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हरतालिका तीज का मुहूर्त

भाद्रपद की शुक्ल तृतीया तिथि 05 सितंबर, 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 06 सितंबर, 2024 को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर होने वाला है। उदया तिथि के मुताबिक, शुक्रवार, 06 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत किया जाएगा। हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 02 से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक होगा। 

हरतालिका तीज का महत्व


हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया था। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। व्रत का पालन करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं और परिवार में शांति और खुशहाली बनी रहती है।  कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो। ऐसा माना जाता है कि जो कन्याएं इस व्रत को श्रद्धा से करती हैं, उन्हें भगवान शिव जैसा आदर्श और सच्चा जीवनसाथी मिलता है।

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व्रत के नियम और पालन

हरतालिका तीज का व्रत निर्जला (बिना पानी के) रखा जाता है। इस व्रत में पूरे दिन और रात उपवास रखा जाता है, और व्रती जल तक का सेवन नहीं करती हैं। इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती की मूर्ति की विधिवत पूजा करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप और भजन-कीर्तन किया जाता है। फल, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन विशेष रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने पति के लिए मनोकामना करती हैं। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वस्त्र और आभूषण पहनकर पूजा में भाग लेती हैं।
  

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व्रत का फल:

इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनका वैवाहिक जीवन सुखी और संपन्न होता है, और पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है। कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के प्रभाव से मनचाहा और आदर्श जीवनसाथी मिलता है। इस व्रत के पालन से न केवल पारिवारिक सुख-समृद्धि मिलती है, बल्कि यह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हरतालिका तीज का व्रत धार्मिक आस्था, समर्पण और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं को आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है, जिससे वे अपने जीवन में आने वाली हर कठिनाई का सामना कर सकें।
 

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